Magazine - Year 1994 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
तीन पहाड़ (Kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
तीन पहाड़ थे पास ही पास। उनसे लगा हुआ लंबा गहरा खड्ड था। उसके कारण उस ओर किसी का आवागमन नहीं होने पाता था। एक बार देवता उधर से निकले पहाड़ों से कहा इस क्षेत्र का नामकरण करना है। तुम तीनों में से किसी के नाम पर नामकरण किया जायगा। तुम तीनों अपनी एक-एक इच्छा पूरी करा सकते हो। एक वर्ष बाद जिसका जितना विकास होगा उस आधार पर नामकरण किया जायगा।”
पहले पहाड़ ने कहा में सबसे ऊँचा हो जाऊँ। ताकि सबसे दूर से दिखाई दूँ। दूसरे ने कहा मुझे खूब हरा भरा प्राकृतिक संपदा से भरा-पूरा बना दे, ताकि सब मेरी ओर आकर्षित हों। तीसरे पहाड़ ने कहा मेरी ऊँचाई छीलकर इस खड्ड करे समतल बना दें, ताकि यह सारा क्षेत्र उपजाऊ हो जाय और लोग यहाँ सुविधा से आ जा सके, देवता तीनों की व्यवस्था बना कर चले गये।
एक वर्ष बाद परिणाम देखने देवता पुनः पहुँचे। पहला पहाड़ ऊँचा हो गया था दूर से दिखता था, पर वहाँ कोई जाता नहीं था। हवा, सर्दी गर्मी की मार सबसे अधिक उसे ही सहनी पड़ती थी।
दूसरा पहाड़ प्राकृतिक संपदा से भर गया था, पर बीहड़ इतना था कि किसी के जाने की हिम्मत न पड़ती थी। वन्य पशुओं का आतंक भी उससे खूब बढ़ गया था।
तीसरा पहाड़ खड्ड पाटने से समतल हो गया था। पर सारे क्षेत्र में फसलें उगायी जा रही थीं। खड्ड पर जाने से लोग वहाँ जाने लगे, बसने लगे। उपजाऊ भूमि का लाभ सबसे मिलने लगा।