Magazine - Year 1996 - Version 2
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Language: HINDI
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अपने प्रारम्भिक दिनों से शाँतिकुँज जनसामान्य एवं विशिष्ट जनों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। हरिद्वार आने वाले तीर्थयात्री यहाँ आए बगैर नहीं रहते। बद्री, केदार, गंगोत्री, यमुनोत्री इन चारों धाम की यात्रा करने वालों के लिए तो यह युग तीर्थ पाँचवें धाम की तरह है। जहाँ आए, घूमे, देखे, प्रसाद ग्रहण किए बगैर उन्हें अपनी तीर्थयात्रा पुरी होने की अनुभूति नहीं होती।
सहज श्रद्धालु तीर्थयात्रियों की ही तरह बुद्धिजीवी, साहित्यकारों, राजनेताओं, समाजसेवियों, मनीषियों, कलाकारों, वैज्ञानिकों के मन में भी यहाँ के प्रति कम आकर्षण नहीं है। यहाँ से संचालित राष्ट्र-निर्माण, समाज-निर्माण, व्यक्ति-निर्माण की गतिविधियाँ वैज्ञानिक अध्यात्म का शोध-अनुसंधान उनके मन को सहज मोह लेता है। आज के युग में धर्म का ऐसा उत्कृष्ट स्वरूप भी सम्भव है, यह उन्हें यहीं आकर पता चलता है।
पू. गुरुदेव ने शाँतिकुँज का जो वृक्ष रोपा, उसमें लगे बहुविधि गतिविधियों के पुष्प इतने सुरभित हैं कि उनकी सुवास दूर-दूर तक अपने-आप फैल चुकी है। इस मोहक सुगन्ध से आकर्षित होने वाले विशिष्टजनों के आने का यहाँ ताँता लगा रहता है। यहाँ आकर वे इतने भाव-विभोर होते हैं कि उनके हृदयोद्गार अपने आप झरने लगते हैं। ऐसे ही कुछ उद्गारों को इस लेख में पिरोया गया है।
शाँतिकुँज सचमुच स्वर्ग है। यहाँ का सान्निध्य अनगढ़ और भटके हुए मानव के अंदर देवत्व का उदय करता है। भगवान से मेरी प्रार्थना है कि उत्कट तपस्वी आचार्य जी की भावधारा से समूचा देश और दुनिया परिचित और प्रभावित हो।
डॉ.एम.चन्ना रेड्डी
भूतपूर्व राज्यपाल उत्तरप्रदेश
मानव निर्माण के इस कारखाने शाँतिकुँज को देखकर विश्वास ऐसा दृढ़ हो जाता है कि यह काल्पनिक नहीं है वस्तुतः इसे ठोस धरातल पर उतारा जा सकता है। परम पूज्य गुरुदेव एवं वं. माताजी के सूक्ष्म घनीभूत विचारों का मूर्त रूप है शाँतिकुँज और उनके प्रशिक्षण स्वयंसेवी कार्यकर्त्ता।
श्रीमती मोहसीना किदवई
पूर्व मंत्री उत्तरप्रदेश
शाँतिकुँज हिंदुत्व, भारतीयता एवं मानव समाज के उत्थान के लिए कर रहे कार्य का अभूतपूर्व उदाहरण है।
आर.सी.लाल
पूर्व सीनीयर कामर्शियल ऑफिसर, पश्चिम रेलवे, मुम्बई
शाँतिकुँज तीर्थ चेतना में गोते लगाने वालों को मेरा ही नहीं समस्त ऋषि चेतना का आशीर्वाद सहज ही मिलता है, मिलता रहेगा। पवित्र हिमाच्छादित कैलास यहीं आ बसा है। यह साक्षात शिव पार्वती की तपस्थली है। मैं भी दिव्य अनुदानों से लाभान्वित होने के लिए यहाँ आता हूँ।
महात्मा आनंद स्वामी
महान संत, प्रख्यात समाजसेवी, आर्य समाज
इधर काफी अरसे से महसूस हो रहा था कि जैसा जीवन मुझसे बिछड़ गया है। सब कुछ खोया-खोया, सूना-सूना लग रहा था। आज शाँतिकुँज आकर मेरा खोया जीवन वापस मिल गया। यहाँ के सान्निध्य में मेरे जीवन को नया आधार देने वाला अलौकिक तत्व चिन्तन मिला।
जस्टिस वी. रामास्वामी
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश पंजाब
शाँतिकुँज में मानव जाति के कल्याण के लिए जैसी शिक्षा एवं विद्या दी जा रही है, वह भारत तथा विदेशों के हर नागरिकों के लिए संजीवनी बूटी के समान है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि अगले दिनों इस विद्या को समस्त विश्व अपनायेगा।
भ.र.देवरस, सर संघ संचालक
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
शाँतिकुँज का पुनीत कार्य कर्त्तव्य और धर्म के साथ मनुष्य को अपनी ऊँचाइयों में श्रेष्ठता तथा शाँति देने का अभिनव स्रोत है। शाँतिकुँज आचार्य श्री एवं व.माताजी का ज्योतिपुँज है और उनके कार्यकर्ता यहाँ से निकाली हुई प्रकाश किरणें।
श्रीपति मिश्र
पूर्व मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश
शाँतिकुँज वैज्ञानिकों, समाज आँदोलनकारियों, करुण हृदय साहित्यकारों, दार्शनिकों एवं पत्रकारों के लिए प्रखर प्रेरणा का केन्द्र है। मैं स्वयं यहाँ से आवश्यक आत्मबल लेकर जा रहा हूँ। मेरी इच्छा है कि इन विविध विधाओं के मर्मज्ञ यहाँ आएँ और सीखें कि अपनी-प्रतिभा एवं विशिष्ट क्षमता को नवनिर्माण के लिए सुनियोजित करने की सही तकनीक क्या है?
सुन्दरलाल बहुगुणा
प्रख्यात पर्यावरणविद्, प्रणेता ‘चिपको आँदोलन’
दूर बैठे, बिना देखे शाँतिकुँज की यथार्थ कल्पना करना दुष्कर एवं कठिन है। जो भी यहाँ आया, देखा और रहा वह यहीं का होकर रह गया। शाँतिकुँज विज्ञान, आत्मज्ञान और व्यवहार बुद्धि का अद्भुत संगम है। पुरातन भारतीय संस्कृति और आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी का जो समन्वय ब्रह्मवर्चस में देखने को मिला वह अलभ्य है। वाणी और आचरण के विलक्षण सामंजस्य का नाम है शाँतिकुँज।
सुषमा स्वराज
महामंत्री भारतीय जनता पार्टी
शाँतिकुँज पुण्य तीर्थ है। इस केन्द्र से समस्त मानव जाति को भारतीय संस्कृति का, शान्ति का संदेश मिल रहा है, अध्यात्म एवं विज्ञान का संगम स्थापित हो रहा है। यहाँ का वातावरण ही आत्मा में शुद्धता प्रदान कर देता है।
हरिमोहन सिंह, आई.ए.एस
प्रादेशिक सचिव, भारत स्काउट उत्तरप्रदेश
विश्व मानवता का केन्द्र है शांतिकुंज। यह आध्यात्मिक चेतना का स्रोत है। मानवोत्थान एवं समाज सेवा का यह अभियान अपने देश में ही नहीं अपितु सारे विश्व में सतयुगी वातावरण विनिर्मित करेगा।
सत्येन्द्र नारायण सिंह
पूर्व मुख्यामंत्री, बिहार
शाँतिकुँज दिव्य एवं पवित्र तीर्थस्थली है। भारत को इस समय राष्ट्रीय चरित्र निर्माण एवं स्वावलम्बन की आवश्यकता है। जो मात्र यहाँ से प्राप्त हो सकता है।
हरिषचन्द्र मक्कड़
पूर्व असिस्टेंट हाउसिंग, कमिश्नर, दिल्ली प्रशासन
प्राचीन भारतीय संस्कृति का आधुनिक विचारधारा एवं आदर्शवाद में वैज्ञानिक रूप से कहीं बदला जा रहा है तो वह है शांतिकुंज।
संजय माकिन, संचालन
दूरदर्शन केन्द्र, लखनऊ
आज कोई संस्था चरित्र निर्माण एवं समाज सेवा में लगी है और जो भारत में ही नहीं विश्व में भी मानवता का प्रसार कर रही है, उस तीर्थ का नाम है शाँतिकुँज। आध्यात्मिक, सामाजिक कार्य के साथ देश की अखण्डता, एकता के लिए पूर्व ऋषि तुल्य चिंतन, मनन एवं कार्य प्रणाली मेरी राय में सिर्फ यहीं से परिचालित हो रही है। राजनीतिज्ञों एवं देश के कर्णधारों को यहाँ से मार्गदर्शन लेना चाहिए। में मानव सेवा में अपना योगदान देने का संकल्प लेता हूँ।
दिग्विजय सिंह
मुख्यमंत्री म.प्र.
इंसानियत, अमन, भाईचारा का पैगाम देने वाले
शाँतिकुँज आश्रम को देखते की अभिलाषा पूर्ण हुई। समस्त धर्मों के मूल में इंसानियत है और जो रोशनी यहाँ से इंसान को मिलती है वह बेमिसाल है।
इब्राहिम कुरैशी, एडवोकेट
मंत्री म.प्र.
गंगा की गोद में एवं हिमालय की छाया में स्थित अद्भुत शाँतिकुँज लोक कल्याण में लगा है। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि शाँतिकुँज का शाँतिदायिनी संदेश अगले दिनों सारे विश्व को आलोकित अवश्य करेगा।
गदाधर नारायण सिंह
आई.जी..लखनऊ
शाँतिकुँज भारतीय संस्कृति की प्रेरणा स्थली के रूप में विकसित होकर देश में देवभूमि का स्वरूप ग्रहण कर रहा है। यह उत्तरोत्तर प्रगति करते हुए उच्च साँस्कृतिक प्रेरणा एवं जनकल्याण का केन्द्र बनेगा तथा भारतीय संस्कृति के उत्कृष्ट संस्कारों को देश विदेश में प्रसारित करेगा।
डॉ. हरस्वरूप सिंह, कुलपति
कृषि विश्वविद्यालय हिसार, हरियाणा
शाँतिकुँज कोई एक संस्था नहीं, यह बहुत बड़ा अभियान है। यह संस्थान आत्मकल्याण के लिए तो प्रयत्नशील है ही, साथ ही आत्मकल्याण के द्वारा लोकमंगल भी उसे अभीष्ट है। इसकी बड़ी विशेषता है अनमोल मानव सम्पदा। सादगी, सरलता एवं सात्विकता की त्रिवेणी यहाँ से प्रवाहित है।
हो.वे.शेषाद्रि
सुविख्यात समाजसेवी,
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
हिन्दू संस्कारों की पुनः प्रतिष्ठा का जो महत् कार्य शाँतिकुँज द्वारा किया जा रहा है, उसका सदैव यह देश ऋणी होगा। इस संस्था के पीछे भगवत् शक्ति का स्पष्ट अनुदान, वरदान सन्निहित है।
अशोक सिंघल, महामंत्री हिन्दु परिषद
शाँतिकुँज कर्तव्य और सेवा का प्रणेता है। यहाँ आध्यात्मिक शक्ति सतत् प्रवाहित होती है। मनुष्य में मानवीय गुणों को शक्ति देने के लिए यह संस्थान महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। ऐसा कार्य जिसमें मानवता एवं राष्ट्रीयता हर भारतीय में रोपित होती है। पूज्य बापू के “क्षमता भर करो और आवश्यकता भर लो।” जीवन सिद्धान्त को हर जन में प्रशिक्षित करने का यह संस्था कार्य कर रही है।
रामलाल राही
पूर्व केन्द्रीय उप गृहमंत्री भारत सरकार
आध्यात्मिक नवजागरण के इस केन्द्र से स्फूर्ति, प्रेरणा एवं बल लेकर जा रहा हूँ। यहाँ आकर चेतना को नई शक्ति मिली । यह कार्य बढे., केन्द्र अधिकाधिक सामर्थ्यवान बने, यही प्रभु से प्रार्थना है।
मुरली मनोहर जोशी
वरिष्ठ राजनेता, भारतीय जनता पार्टी
शाँतिकुँज आकर मुझे पहली बार स्वर्गीय वातावरण की अनुभूति हुई। मेरे सुप्त हृदय के तार झंकृत हो गये और अंतर में मानव सेवार्थ संकल्प उमगने लगा। यहाँ का दिव्य आकर्षण का उच्च शिक्षित एवं प्रतिभासम्पन्न लोगों को भौतिकता का माह छोड़कर शाँतिकुँज आने एवं लोककल्याण करने के लिए प्रेरित करता है।
यशपाल जैन
प्रख्यात साहित्यकार एवं मंत्री, सस्ता साहित्य मण्डल
भारत की प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता की महिमा यदि काई जानना चाहे तो उसे शाँतिकुँज में देखकर आना चाहिए। वैज्ञानिक, विद्वान एवं कलाकार की समाज को नवीन दिशा देते हैं। शाँतिकुँज में ये समस्त प्रतिभा विद्यमान हैं।
देवेन्द्र वर्मा
फिल्म अभिनेता, मुम्बई
भारतीय संस्कृति की चिरंतनी धारा के अनेक स्रोत अबाध गति से प्रवाहित होते रहे हैं। यह एक ऐसा कुँज है जहाँ समस्त मानव जाति को प्रेरणा मिलती है, शक्ति मिलती है, दिव्य दृष्टि मिलती है, इसका यह स्थान एक प्रतीक है।
चंद्रशेखर
भूतपूर्व प्रधानमंत्री भारत, सरकार
शाँतिकुँज आकर मेरी असली खोज पूर्ण हुई । पूज्य आचार्य जी के तप एवं विचार से तथा वं. माताजी के ज्ञान और क्रिया से विनिर्मित शाँतिकुँज मानव जाति के उत्थान की उद्गम स्थली है। विश्व के लिये यह वरदान सिद्ध होगा।
रामानंद सागर
निदेशक, निर्माता, रामायण एवं श्रीकृष्णा सीरियल
जहाँ आत्मिक शाँति व साधना के विषय में निरंतर ज्ञान प्राप्त करने की सुविधा है, उसका ही नाम शाँतिकुँज है। यहाँ आकर मैं बार-बार स्फूर्ति एवं चेतना से ओत-प्रोत हो जाता हूँ। यहाँ मुझे व्यक्ति और उसके कर्तव्य का बोध हाता है। मानवीय हितों पर किया जा रहा यहाँ का श्रेष्ठ कार्य विश्व इतिहास में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। मैं जीवन को कृतार्थ समझूँगा यदि पूज्यवर के मार्गदर्शन के अनुसार कुछ कर सकूँगा।
भैरोंसिंह शेखावत
मुख्यमंत्री राजस्थान
सप्तऋषियों के क्रिया-कलापों को जिन्हें देखना हो उन्हें शाँतिकुँज दर्शन करना चाहिए। हिन्दू धर्म एवं भारतीय संस्कृति का जो कार्य यहाँ हो रहा है, वह अपने आप में अद्भुत एवं विलक्षण है।
श्री जगद्गुरु, श्री चिदानंद भारती
पीठाधिपति कोर्तलम, तमिलनाडु
शाँतिकुँज में पूर्ण आध्यात्मिक वातावरण है और यहाँ आध्यात्मिकता को वैज्ञानिक स्तर पर लाने की कोशिश की गई है। ब्रह्मवर्चस इसकी अभूतपूर्व मिसाल है।
प्रो.उनवान चिष्ती
अध्यक्ष जमायते सूफियाये हिंद
इतिहास साक्षी है कि अतीत में भारतवर्ष विश्व का जगद्गुरु था। मानव सभ्यता का उद्गम यहीं से हुआ था। शाँतिकुँज उसी लक्ष्य को लेकर समाज में आध्यात्मिक जाग्रति का प्रयास कर रहा है। यह प्रयास राष्ट्र एवं विश्व निर्माण का वेगपूर्ण प्रवाह है।
कैलास जोशी
पूर्व मुख्यमंत्री, म.प्र.
मानवीय हित ही जहाँ सर्वोपरि है, जहाँ मनुष्य एवं समाज की सेवा को धर्म माना जाता है, वह है शाँतिकुँज। यहाँ पर मानवीय प्रेम का अगाध समुद्र लहराता है।
किरण बेदी
पूर्व आई.जी.तिहाड़ जेल
मानवीय संवेदना अगर घनीभूत हो जाए तो कैसी होगी? यह माताजी को देखकर शाँतिकुँज के बारे में जान पाया। शाँतिकुँज से चलाया गया अश्वमेध राष्ट्र निर्माण का सूक्ष्म एवं विशिष्ट प्रयोग है।
अटल बिहारी बाजपेई
वरिष्ठ राजनेता भारतीय जनता पार्टी
परम वंदनीया माताजी एवं इनके द्वारा संचालित भव्य अश्वमेध का देखकर जान पायी कि संसार में मात्र शाँतिकुँज ही एक ऐसी दिव्यस्थली है, जहाँ पर स्नेह, ममत्व, करुणा, साहस, सेवा सदाशयता के सभी गुण मौजूद होंगे।
मिस कैम्पबेल
उप प्रधानमंत्री कनाडा
भावभरी यादों की इस शृंखला का विस्तार बहुत बड़ा है, यह अंतहीन उद्गार के रूप में स्मृति एवं अनुभूति भरा पुलकन देता रहेगा । हम भी कल्पवृक्ष रूपी शांतिकुंज छाया में आएँ, अनुकरण, अनुगमन का प्रयास करें, जिससे हमारा जीवन दिव्य प्रेरणाओं एवं सुखद अनुभूतियों से भर जाए।