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चेतना के एक नूतन रहस्य का उद्घाटन
क्लेशों का क्षय तप की प्रखरता द्वारा
दु:खों को जन्म देते हैं पंचक्लेश
ईश्वर में रमना ही क्लेशों को मिटाना
अविद्या के अंधेरे में जीवन की भटकी राह
स्वयं को दृश्य समझने की भूल
सबसे बड़ा बैरी है राग
द्वेष साधक के लिए नरक का द्वार है
देहासक्ति है मृत्युभय का मूल कारण
पंचक्लेशों का जड़ मूल उपचार
ध्यान एक आध्यात्मिक शल्यक्रिया
अतीत के गर्भ से जन्मता वर्तमान और भविष्य
कैसे बचें अशुभ कर्मों व उनके प्रभाव से
पाप-पुण्य की धूप-छाया
दु:खो से मुक्ति का एकमेव मार्ग-योग
साधक के भविष्य के दु:ख स्वत: नष्ट हो जाते हैं
कैसे मिटें दृश्य कैसे मिलें इष्ट
प्रकृति में जीवन का क्या प्रयोजन है
जानें दृश्य के गुण, क्रम और भेद
चित्त की विकृतियाँ ही जीवन की भ्रान्तियाँ हैं
कैवल्य का सच्चा अधिकारी
भोग पूर्ण होते ही प्राप्त होती है कैवल्य अवस्था
मोह मुक्त होने पर ही जलेगा प्रज्ञा का दीपक
अविद्या से मुक्ति ही पूर्णता की ओर ले जाती है
अविद्या का विसर्जन होते ही कैवल्य की प्राप्ति
बोध की पूर्णता में अज्ञान, अविद्या का विसर्जन
सम्बोधि शिखर के सात चरण
जो कलुष मुक्त कर सके, वही सच्चा योगी
अष्टांग योग के आठ चरण
अनुशासन को, यम के शासन को स्वीकारें
पंचव्रतों को महाव्रतों की तरह निभाएँ
आत्मशोधन का विज्ञान है- नियम
यूँ थमे नकारात्मक विचारों का प्रवाह
विकृतियाँ किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं
वैर त्याग एक बड़ी सिद्धि
सत्य में प्रतिष्ठित महायोगी
अस्तेय व्रत से साधक कभी डिगे नहीं
काम ऊर्जा के परिष्कार का विज्ञान
अपरिग्रह की अद्भुत महिमा
देह शुद्धि से जगे वैराग्य के भाव
आन्तरिक शुद्धि खोलती है सिद्धियों के द्वार
संतोष के बराबर कोई सुख नहीं
तप द्वारा अशुद्धियों का क्षय
स्वाध्याय से इष्ट दर्शन
ईश्वर शरणागति खोले समाधि के द्वार
स्थिरता से शान्ति और शान्ति से सुख
असीम परमात्मा से मिलन
द्वन्द्वातीत बनाती है आसन सिद्धि
प्राण की लय से बंधी जीवन की डोर
प्राणायाम के स्थूल भेद
जानें प्राणायाम का उच्चस्तरीय भेद
आवरणों से मुक्त हो चित्त
तब मन धारण की योग्यता पा लेता है
विक्षेपों से मुक्ति की राह
इन्द्रियों पर पूर्ण नियंत्रण की दशा
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अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -2
Media: SCAN
Language: HINDI
पंचव्रतों को महाव्रतों की तरह निभाएँ
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