Books - गीत माला भाग १६
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हम तुम्हारे लिए हैं
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हम तुम्हारे लिए हैं
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
साधना के लिए जो विविध विध करीं, वे विधाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
और अब कौन सा आसरा चाहिए,
जब तुम्हारी सबल बाँह हम पा गए।
कामना अब भला क्या करें जबकि हम,
कल्पतरु की वरद छाह में आ गए॥
रात- दिन जो विकल कर रही थी हमें, कामनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
प्रार्थना है प्रभो! शक्ति ऐसी मिले,
आपके मार्ग पर हम सबल हो सकें।
ध्वंस- आतंक को देखकर सामने,
धैर्य- विश्वास अपना न हम खो सकें॥
आज तक जो स्वयं के लिए कीं, सभी प्रार्थनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
स्नेह सान्निध्य पाकर प्रभो! आपका,
यह चपल मन सहज निर्विषय हो गया।
फिर अहं की उफनती हुई धार का,
आपके सिन्धु में ही विलय हो गया॥
एक है लक्ष्य अब, भ्रान्त भटकी हुई सब दिशाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
एक है कामना, प्रार्थना, साधना,
काम पूरा करें हम तुम्हारा प्रभो!
हम सभी के समर्पित सुसंकल्प से,
देवसंस्कृति बने विश्ववारा प्रभो!
आपने जो सिखाए सभी मंत्र और सब ऋचाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
मुक्तक- हमने सदा आपसे पाये जीवनभर अनुदान हैं।
आज समर्पित गुरु चरणों में तन- मन जीवन प्राण हैं।।
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
साधना के लिए जो विविध विध करीं, वे विधाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
और अब कौन सा आसरा चाहिए,
जब तुम्हारी सबल बाँह हम पा गए।
कामना अब भला क्या करें जबकि हम,
कल्पतरु की वरद छाह में आ गए॥
रात- दिन जो विकल कर रही थी हमें, कामनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
प्रार्थना है प्रभो! शक्ति ऐसी मिले,
आपके मार्ग पर हम सबल हो सकें।
ध्वंस- आतंक को देखकर सामने,
धैर्य- विश्वास अपना न हम खो सकें॥
आज तक जो स्वयं के लिए कीं, सभी प्रार्थनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
स्नेह सान्निध्य पाकर प्रभो! आपका,
यह चपल मन सहज निर्विषय हो गया।
फिर अहं की उफनती हुई धार का,
आपके सिन्धु में ही विलय हो गया॥
एक है लक्ष्य अब, भ्रान्त भटकी हुई सब दिशाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
एक है कामना, प्रार्थना, साधना,
काम पूरा करें हम तुम्हारा प्रभो!
हम सभी के समर्पित सुसंकल्प से,
देवसंस्कृति बने विश्ववारा प्रभो!
आपने जो सिखाए सभी मंत्र और सब ऋचाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
हम तुम्हारे लिए हैं, हमारी सभी साधनाएँ समर्पित तुम्हें पूज्यवर!
मुक्तक- हमने सदा आपसे पाये जीवनभर अनुदान हैं।
आज समर्पित गुरु चरणों में तन- मन जीवन प्राण हैं।।