Books - गीत माला भाग ७
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तेरी महिमा की यशगाथा
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तेरी महिमा की यशगाथा
तेरी महिमा की यशगाथा, अखिल विश्व निशिदिन है गाता।
याद तुम्हारी आती माता, स्नेह तुम्हारा भुला न पाता।।
तुमने प्यार दुलार लुटाया, ज्ञानामृतमय पान कराया।।
सविता की शाश्वत शक्ति से, प्रखर प्रेरणा पा मुस्काया।।
निष्ठुर होता मानव जीवन, अगर न जुड़ता तुमसे नाता।।
करुणा दया प्रेम छलकाकर, मानवता की ज्योति जलाकर।
बनी सहचरी वेदमूर्ति की, त्याग, तपस्या शुभ अपनाकर।।
श्रद्धा सजल मूर्ति ममता की, श्रद्धा पूरित जग शीश झुकाता।।
हम सब श्रद्धा सुमन चढ़ाकर, संकल्पों को याद कर रहे।
सूक्ष्म जगत से प्यार लुटाना, हम सब हैं फरियाद कर रहे।।
वही करेंगे मिलकर हम सब, माता सुनो तुम्हें जो भाता।।
तेरी महिमा की यशगाथा, अखिल विश्व निशिदिन है गाता।
याद तुम्हारी आती माता, स्नेह तुम्हारा भुला न पाता।।
तुमने प्यार दुलार लुटाया, ज्ञानामृतमय पान कराया।।
सविता की शाश्वत शक्ति से, प्रखर प्रेरणा पा मुस्काया।।
निष्ठुर होता मानव जीवन, अगर न जुड़ता तुमसे नाता।।
करुणा दया प्रेम छलकाकर, मानवता की ज्योति जलाकर।
बनी सहचरी वेदमूर्ति की, त्याग, तपस्या शुभ अपनाकर।।
श्रद्धा सजल मूर्ति ममता की, श्रद्धा पूरित जग शीश झुकाता।।
हम सब श्रद्धा सुमन चढ़ाकर, संकल्पों को याद कर रहे।
सूक्ष्म जगत से प्यार लुटाना, हम सब हैं फरियाद कर रहे।।
वही करेंगे मिलकर हम सब, माता सुनो तुम्हें जो भाता।।