Books - गीत संजीवनी-12
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जब जन्में कृष्ण भगवान्
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जब जन्में कृष्ण भगवान्, जेल दरम्यान।
मुरलिया वाले, खुल गये जेल के ताले॥
देवकी ने पति को जगाया था।सपने का हाल सुनाया था॥
ले जाओ पुत्र यशोदा के करो हवाले॥
वसुदेव की बेड़ी टूटी थी।तकदीर कंस की फूटी थी॥
सो गये मस्त जितने थे पहरे वाले॥
लेकर वसुदेव मुरारी को।बढ़ते ही गये अगारी को॥
यमुना जी उमड़ी पड़े जान के लाले॥
वसुदेव भेद नहीं पाया था।श्रीकृष्ण ने पैर बढ़ाया था॥
यमुना जी बोलीं कृष्ण पैर धुलवाले॥
वसुदेव समझ नहीं पाये थे।श्रीकृष्ण ने पग लटकाये थे॥
छूकर पग जमुना घटीं बढ़े मतवाले॥
मुरलिया वाले, खुल गये जेल के ताले॥
देवकी ने पति को जगाया था।सपने का हाल सुनाया था॥
ले जाओ पुत्र यशोदा के करो हवाले॥
वसुदेव की बेड़ी टूटी थी।तकदीर कंस की फूटी थी॥
सो गये मस्त जितने थे पहरे वाले॥
लेकर वसुदेव मुरारी को।बढ़ते ही गये अगारी को॥
यमुना जी उमड़ी पड़े जान के लाले॥
वसुदेव भेद नहीं पाया था।श्रीकृष्ण ने पैर बढ़ाया था॥
यमुना जी बोलीं कृष्ण पैर धुलवाले॥
वसुदेव समझ नहीं पाये थे।श्रीकृष्ण ने पग लटकाये थे॥
छूकर पग जमुना घटीं बढ़े मतवाले॥