Books - गीत संजीवनी-12
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हमको जीवन नीति सिखाने
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हमको जीवन नीति सिखाने, मानव बने कृष्ण भगवान्।
सच्चा योगी हमें बनाने, लीला रचे कृष्ण भगवान्॥
लीला रचे कृष्ण भगवान्, गीता रचे कृष्ण भगवान्॥
कहीं लिया था जन्म कहीं पर, पलकर बड़े हुए थे। कदम- कदम पर जीवन के हित, संकट खड़े हुए थे॥
फिर भी हँसते और हँसाते, विकसे बढ़े कृष्ण भगवान्॥
ग्वाल- बाल या विप्र सुदामा, सबको गले लगाया। भेदभाव को दूर हटाकर, जीना हमें सिखाया॥
सबमें समता भाव जगाने, सबके मित्र बने भगवान्॥
कंस, पूतना, जरासन्ध, इन सबको नष्ट कराया। ग्वालों और पाण्डवों सबको, उनका हक दिलवाया॥
शोषण मुक्त समाज बनाने, न्यायाधीश बने भगवान्॥
छोटे- छोटे राज्य तोड़कर, भारत एक बनाया। अहंकार में जो ऐंठे थे, उनको सबक सिखाया॥
शौर्य के संग सहकार सिखाने, योद्धा बने कृष्ण भगवान्॥
प्रथम पूज्य थे किन्तु यज्ञ में, पाँव सभी के धोये। द्वेष, दम्भ को हटा सभी में, बीज प्रेम के बोये॥
सबको सेवा धर्म सिखाने, सबसे नम्र बने भगवान्॥
सच्चा योगी हमें बनाने, लीला रचे कृष्ण भगवान्॥
लीला रचे कृष्ण भगवान्, गीता रचे कृष्ण भगवान्॥
कहीं लिया था जन्म कहीं पर, पलकर बड़े हुए थे। कदम- कदम पर जीवन के हित, संकट खड़े हुए थे॥
फिर भी हँसते और हँसाते, विकसे बढ़े कृष्ण भगवान्॥
ग्वाल- बाल या विप्र सुदामा, सबको गले लगाया। भेदभाव को दूर हटाकर, जीना हमें सिखाया॥
सबमें समता भाव जगाने, सबके मित्र बने भगवान्॥
कंस, पूतना, जरासन्ध, इन सबको नष्ट कराया। ग्वालों और पाण्डवों सबको, उनका हक दिलवाया॥
शोषण मुक्त समाज बनाने, न्यायाधीश बने भगवान्॥
छोटे- छोटे राज्य तोड़कर, भारत एक बनाया। अहंकार में जो ऐंठे थे, उनको सबक सिखाया॥
शौर्य के संग सहकार सिखाने, योद्धा बने कृष्ण भगवान्॥
प्रथम पूज्य थे किन्तु यज्ञ में, पाँव सभी के धोये। द्वेष, दम्भ को हटा सभी में, बीज प्रेम के बोये॥
सबको सेवा धर्म सिखाने, सबसे नम्र बने भगवान्॥