Books - गीत संजीवनी-9
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माँ की ममता पीकर गुरुवर
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माँ की ममता पीकर गुरुवर, हमने कर ली है तैयारी।
महाक्रान्ति हित हम जूझेंगे, कार्य करेगी शक्ति तुम्हारी॥
पुत्र तुम्हारे हैं इस नाते, प्यार अनुग्रह जी भर पाया।
लेकिन अब मन तड़प रहा है, दर्द आपका नहीं बँटाया॥
तुम तो अपना काम कर गये, आयी आज हमारी बारी॥
वेदमूर्ति तुम बने महाप्रभु!, वेददूत हम बन जायेंगे।
ज्ञान ज्योति जागृत की तुमने, उसको घर- घर पहुँचायेंगे॥
रामबाण यह औषधि पीकर, रोग मुक्त हो दुनियाँ सारी॥
तपोनिष्ठ तुम बने तपोनिधि, तपकर हम भी पूत बनेंगे।
संस्कृति की सीता की खातिर, पवनपुत्र से दूत बनेंगे॥
पर धन पत्थर जैसा मानें!, माता सम जाने हर नारी॥
तुम उज्ज्वल भविष्य रचते हो, हम उज्जवल चरित्र रच पायें।
श्रद्घा- प्रज्ञा रूप तुम्हारा, प्रतिपल हम मन में रख पायें॥
प्राण होम युग धर्म निभायें, बन जायें ऐसे व्रतधारी॥
संगीत के प्रभाव से शारीरिक शिक्षा में सरसता एवं सजीवता आ जाती है।
महाक्रान्ति हित हम जूझेंगे, कार्य करेगी शक्ति तुम्हारी॥
पुत्र तुम्हारे हैं इस नाते, प्यार अनुग्रह जी भर पाया।
लेकिन अब मन तड़प रहा है, दर्द आपका नहीं बँटाया॥
तुम तो अपना काम कर गये, आयी आज हमारी बारी॥
वेदमूर्ति तुम बने महाप्रभु!, वेददूत हम बन जायेंगे।
ज्ञान ज्योति जागृत की तुमने, उसको घर- घर पहुँचायेंगे॥
रामबाण यह औषधि पीकर, रोग मुक्त हो दुनियाँ सारी॥
तपोनिष्ठ तुम बने तपोनिधि, तपकर हम भी पूत बनेंगे।
संस्कृति की सीता की खातिर, पवनपुत्र से दूत बनेंगे॥
पर धन पत्थर जैसा मानें!, माता सम जाने हर नारी॥
तुम उज्ज्वल भविष्य रचते हो, हम उज्जवल चरित्र रच पायें।
श्रद्घा- प्रज्ञा रूप तुम्हारा, प्रतिपल हम मन में रख पायें॥
प्राण होम युग धर्म निभायें, बन जायें ऐसे व्रतधारी॥
संगीत के प्रभाव से शारीरिक शिक्षा में सरसता एवं सजीवता आ जाती है।