Books - मरने के बाद हमारा क्या होता है ?
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Language: HINDI
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भूमिका
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जीव अमर है। उसकी मृत्यु का कोई प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। अविनाशी आत्मा सदा से है और सदा रहेगा। शरीर की मृत्यु को हम लोग अपनी मृत्यु मानते हैं, बस इसी लिए डरते और भयभीत होते हैं यदि अन्तःकरण को यह विश्वास हो जाय कि आज की तरह हमें आगे भी जीवित रहना है तो डरने की कोई बात नहीं रह जाती।
मृत्यु का भय अन्य सब भयों से अधिक बलवान है, आदमी मौत के डर से थर थर कांपा करता है। इसका कारण परलोक सम्बन्धी अज्ञान है। इस पुस्तक में उस अज्ञान को हटाने का प्रयत्न किया गया है और उस जिज्ञासा की पूर्ति करने की चेष्टा की गई है जिसमें मनुष्य अपने भविष्य के बारे में जानने के लिए आतुर रहता है।
परलोक विज्ञान के सम्बन्ध में हाथों हाथ प्रमाण देकर साबित करना कठिन है, क्योंकि यह विषय जड़ विज्ञान की पहुंच से ऊंचा है। सर ओलिवर लाज जैसे परलोक विद्या विशारद को इस विद्या के सम्बन्ध में यही कहना पड़ा है—‘‘इस आत्मविज्ञान को हर समय प्रत्यक्ष कर दिखाना कठिन है।’’ जो पाठक स्थूल इन्द्रियों को ही ज्ञान का परम साधन मानते हैं उनके लिए परलोक सम्बन्धी यह पुस्तक कल्पना से अधिक प्रतीत न होगी, किन्तु जो दिव्यदर्शियों और तत्वज्ञानियों के वचनों पर विश्वास करते हैं उनके लिए इसमें विश्वसनीय सामग्री हैं, क्योंकि अनेक उच्च आत्माओं के निकट सम्पर्क में रह कर जो ज्ञान हमने प्राप्त किया है उसी का इसमें निचोड़ है।
-श्रीराम शर्मा आचार्य
-श्रीराम शर्मा आचार्य