Books - संस्कृति की सीता की वापसी
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
सीता का हुआ अपहरण
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
मित्रो ! संस्कृति की सीता का रावण ने अपहरण कर लिया था, तब भगवान् रामचन्द्र जी राक्षसों समेत रावण को मारकर सीता को वापस लाने में सफल हुए थे। इतिहास की वह पुनरावृत्ति फिर से होनी है। मध्यकाल में हमारी संस्कृति की सीता को वनवास हो गया। साम्प्रदायिकता इस कदर फैली, मत- मतान्तर इस कदर फैले, बाबाजियों ने अपने- अपने नाम के इतने मजहब इस कदर खड़े कर लिए कि हिन्दू समाज का एक रूप ही नहीं रहा। संस्कृति के साथ में अनाचार शामिल हो गया। बुद्ध के जमाने में ऐसा भयंकर समय था कि हमारी संस्कृति उपहास का कारण बन गयी थी। घिनौने उद्देश्यों को संस्कृति के साथ में शामिल कर दिया गया था। पाँच काम बड़े घिनौने माने जाते हैं और इन पाँचों कामों को भी धर्म के साथ जोड़ दिया गया था और संस्कृति को कलंकित कर दिया गया था। ये पाँचों हैं—‘‘मद्यं मांसं तथा मत्स्यो मुद्रा मैथुनमेव च। पञ्चतत्त्वमिदं देवि! निर्वाण मुक्ति हेतवे ॥ ’’ ये पाँचों घिनौने काम संस्कृति के साथ शामिल हो गये।
और मित्रो ! यज्ञ का रूप कैसा घिनौना हो गया था? आपको मालूम नहीं है, तब मनुष्यों को मारकर होम दिया जाता था घोड़ों और गौवों तक को होम दिया जाता था। वह क्या था? वह संस्कृति का वनवास काल था और अब क्या हो गया ? अब बेटे, संस्कृति की सीता रावण के मुँह में (अपसंस्कृति के कब्जे में) चली गयी, जहाँ बेचारी की जान निकल जाने की उम्मीद है और जहाँ से वापस आने का ढंग दिखाई नहीं पड़ता। सीता राक्षसों के मुँह में से कैसे निकलेगी? चारों ओर समुद्र घिरा हुआ है। उस (मूढ़ मान्यताओं अनगढ़ परम्पराओं रूपी) समुद्र को कौन पार करेगा? रावण कितना जबरदस्त है? राक्षस (मनुष्य में व्याप्त आसुरी प्रवृत्तियाँ) कितने जबरदस्त हैं? इनसे लोहा कौन लेगा? संस्कृति की सीता को वापस लाने का काम कठिन मालूम पड़ता है। अब वह कहाँ चली गयी? वह तो मध्यकालीन युग था। उसमें आस्तिकता फिर भी थी। उस समय किसी कदर आस्तिकता का नामोनिशान तो था। राम- रहीम का जिक्र तो आता था। यज्ञ की कोई बात तो कहता था। धर्म का कोई नाम तो भी लेता था।
और मित्रो ! यज्ञ का रूप कैसा घिनौना हो गया था? आपको मालूम नहीं है, तब मनुष्यों को मारकर होम दिया जाता था घोड़ों और गौवों तक को होम दिया जाता था। वह क्या था? वह संस्कृति का वनवास काल था और अब क्या हो गया ? अब बेटे, संस्कृति की सीता रावण के मुँह में (अपसंस्कृति के कब्जे में) चली गयी, जहाँ बेचारी की जान निकल जाने की उम्मीद है और जहाँ से वापस आने का ढंग दिखाई नहीं पड़ता। सीता राक्षसों के मुँह में से कैसे निकलेगी? चारों ओर समुद्र घिरा हुआ है। उस (मूढ़ मान्यताओं अनगढ़ परम्पराओं रूपी) समुद्र को कौन पार करेगा? रावण कितना जबरदस्त है? राक्षस (मनुष्य में व्याप्त आसुरी प्रवृत्तियाँ) कितने जबरदस्त हैं? इनसे लोहा कौन लेगा? संस्कृति की सीता को वापस लाने का काम कठिन मालूम पड़ता है। अब वह कहाँ चली गयी? वह तो मध्यकालीन युग था। उसमें आस्तिकता फिर भी थी। उस समय किसी कदर आस्तिकता का नामोनिशान तो था। राम- रहीम का जिक्र तो आता था। यज्ञ की कोई बात तो कहता था। धर्म का कोई नाम तो भी लेता था।