Books - यज्ञ का ज्ञान विज्ञान
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Language: HINDI
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रक्षासूत्रम्
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यह वरण सूत्र है । आचार्य की ओर से प्रतिनिधियों द्वारा बाँधा जाना चाहिए । पुरुषों तथा अविवाहित कन्याओं के दायें हाथ में तथा महिलाओं के बायें हाथ में बाँधा जाता है । जिस हाथ में कलावा बाँधे, उसकी मुट्ठी बँधी हो, दूसरा हाथ सिर पर हो । इस पुण्य कार्य के लिए व्रतशील बनकर उत्तरदायित्व स्वीकार करने का भाव रखा जाए ।
ॐ व्रतेन दीक्षामाप्नोति, दीक्षयाऽऽप्नोति दक्षिणाम् । दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति, श्रद्धया सत्यमाप्यते॥ -१९.३०