Saturday 14, December 2024
शुक्ल पक्ष चतुर्दशी, मार्गशीर्ष 2024
पंचांग 14/12/2024 • December 14, 2024
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष चतुर्दशी, पिंगल संवत्सर विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), मार्गशीर्ष | चतुर्दशी तिथि 04:58 PM तक उपरांत पूर्णिमा | नक्षत्र रोहिणी 03:54 AM तक उपरांत म्रृगशीर्षा | सिद्ध योग 08:26 AM तक, उसके बाद साध्य योग 05:07 AM तक, उसके बाद शुभ योग | करण वणिज 04:59 PM तक, बाद विष्टि 03:43 AM तक, बाद बव |
दिसम्बर 14 शनिवार को राहु 09:40 AM से 10:56 AM तक है | चन्द्रमा वृषभ राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 7:09 AM सूर्यास्त 5:14 PM चन्द्रोदय 4:08 PM चन्द्रास्त 7:03 AM अयन दक्षिणायन द्रिक ऋतु हेमंत
- विक्रम संवत - 2081, पिंगल
- शक सम्वत - 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत - मार्गशीर्ष
- अमांत - मार्गशीर्ष
तिथि
- शुक्ल पक्ष चतुर्दशी - Dec 13 07:40 PM – Dec 14 04:58 PM
- शुक्ल पक्ष पूर्णिमा - Dec 14 04:58 PM – Dec 15 02:31 PM
नक्षत्र
- रोहिणी - Dec 14 05:47 AM – Dec 15 03:54 AM
- म्रृगशीर्षा - Dec 15 03:54 AM – Dec 16 02:20 AM
हृदय भावना से प्यार से भरें हों, लगे दीन की पीर, बनकर छलकने
भक्त और भगवान को जोड़ने वाली पगडंडी की प्रेरक कहानी |
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EP:- 04, सफलता की जननी संकल्प शक्ति (भाग -01), Saflta Ki Janani Sankapl Shakti (Part -01)
गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन
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नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन
!! आज के दिव्य दर्शन 14 December 2024 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!
!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
आपको घर-घर हर आदमी के पास वो प्रेरणायें वो दिशाएँ जिसको हम युग की दिशाएँ कहते हैं यह जो हमारे गुरु ने हमको दिया आपकी हैं आपकी हैं हमारी नहीं है हमारी जीवात्मा में बैठ कर के किसी ऋषि ने किसी महापुरुष ने किसी भगवान ने किसी देवता ने जो विचारधाराएँ हमारी दी हैं वह कलम से हमारी से लिखी गई है व्यास जी ने महाभारत बोला था गणेश जी ने लिखा था व्यास जी ने कहा था आपने प्रज्ञा साहित्य लिखा है नहीं हमने हमारी कलम ने और हमारी इसने लिखा है उंगलियों ने लिखा है कलम से ऐसे फिर आप लिख सकते हैं ले जाइए हम आपको कलम दे देंगे फिर आप लिखिए कलम से ही लिखा जा सकता है तो आप लिख डालिए कलम उठा ले जाइए हमारी कलम से नहीं लिखा जा सकता यह हमारे पास जो प्रेरणायें है हमारे पास जो विचारणायें है जो दिशायें है जो हमारे पास संकेत हैं जो ऐसे मूल्यवान है अगर लोग उनको हृदयंगम कर सके हजम कर सके पचा सके तो उनको वही लाभ मिल सकता है जो नारद जी के संपर्क से औरों को मिला था |
अखण्ड-ज्योति से
किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए प्रायः तीन सूत्रों का अवलंबन लेना होता है।
1. लक्ष्य का निर्धारण,
2. अभिरुचि का होना और
3. क्षमताओं का सदुपयोग।
जीवन लक्ष्य का निर्धारण :-
जिस तरह देशाटन के लिए नक्शा, और जहाज चालक को दिशा सूचक की आवश्यकता पड़ती है। उसी प्रकार मनुष्य जीवन में लक्ष्य का निर्धारण अति आवश्यक है। क्या बनना और क्या करना है यह बोध निरंतर बने रहने से उसी दिशा में प्रयास चलते हैं। एक कहावत है कि ‘जो नाविक अपनी यात्रा के अंतिम बंदरगाह को नहीं जानता उसके अनुकूल हवा कभी नहीं बहती’। अर्थात् समुद्री थपेड़ों के साथ वह निरुद्देश्य भटकता रहता है। लक्ष्य विहीन व्यक्ति की भी यही दुर्दशा होती है। अस्तु सर्वप्रथम आवश्यकता इस बात की है कि अपना एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित किया जाये।
अभिरुचि का होना :-
जो लक्ष्य चुना गया है उसके प्रति उत्साह और उमंग का जगाना – मनोयोग लगाना। लक्ष्य के प्रति उत्साह, उमंग न हो, मनोयोग न जुट सके तो सफलता सदा संदिग्ध बनी रहेगी। आधे अधूरे मन से, बेगार टालने जैसे काम पर किसी भी महत्वपूर्ण उपलब्धि की आशा नहीं की जा सकती। मनोविज्ञान का एक सिद्धांत है कि ‘उत्साह और उमंग’ शक्तियों का स्रोत है। इसके अभाव में मानसिक शक्तियाँ परिपूर्ण होते हुए भी किसी काम में प्रयुक्त नहीं हो पातीं।
क्षमताओं का सदुपयोग :-
‘समय’ उपलब्ध संपदाओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। शरीर, मन और मस्तिष्क की क्षमता का तथा समय रूपी सम्पदा का सही उपयोग असामान्य उपलब्धियों का कारण बनता है। निर्धारित लक्ष्य की दिशा में समय के एक-एक क्षण के सदुपयोग से चमत्कारी परिणाम निकलते हैं।
सफल और असफल व्यक्तियों की आरंभिक क्षमता, योग्यता और अन्य बाह्य परिस्थितियों की तुलना करने पर कोई विशेष अंतर नहीं दिखता। फिर भी दोनों की स्थिति में आसमान और धरती का अंतर आ जाता है। इसका एकमात्र कारण है कि एक ने अपनी क्षमताओं को एक सुनिश्चित लक्ष्य की ओर सुनियोजित किया, जबकि दूसरे के जीवन में लक्ष्यविहीनता और अस्त-व्यस्तता बनी रही।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
(जीवन देवता की साधना-अराधना (२) – ६.५५)
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