Thursday 31, October 2024
कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, कार्तिक 2081
पंचांग 31/10/2024 • October 31, 2024
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, पिंगल संवत्सर विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), आश्विन | चतुर्दशी तिथि 03:53 PM तक उपरांत अमावस्या | नक्षत्र चित्रा 12:44 AM तक उपरांत स्वाति | विष्कुम्भ योग 09:50 AM तक, उसके बाद प्रीति योग | करण शकुनि 03:53 PM तक, बाद चतुष्पद 05:07 AM तक, बाद नाग |
अक्टूबर 31 गुरुवार को राहु 01:22 PM से 02:43 PM तक है | 11:15 AM तक चन्द्रमा कन्या उपरांत तुला राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 6:34 AM सूर्यास्त 5:27 PM चन्द्रोदय 5:17 AM चन्द्रास्त 4:45 PM अयन दक्षिणायन द्रिक ऋतु हेमंत
- विक्रम संवत - 2081, पिंगल
- शक सम्वत - 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत - कार्तिक
- अमांत - आश्विन
तिथि
- कृष्ण पक्ष चतुर्दशी - Oct 30 01:15 PM – Oct 31 03:53 PM
- कृष्ण पक्ष अमावस्या - Oct 31 03:53 PM – Nov 01 06:16 PM
नक्षत्र
- चित्रा - Oct 30 09:43 PM – Nov 01 12:44 AM
- स्वाति - Nov 01 12:44 AM – Nov 02 03:31 AM
परम श्रद्धेय को चेतना दिवस 'अवतरण दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएँ
परम श्रद्धेय को चेतना दिवस 'अवतरण दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएँ
गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन
आज का सद्चिंतन (बोर्ड)
आज का सद्वाक्य
नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन
!! आज के दिव्य दर्शन 31 October 2024 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!
!! अखण्ड दीपक Akhand Deepak (1926 से प्रज्ज्वलित) एवं चरण पादुका गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार 31 October 2024 !!
!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!
Saptrishyon Ki Gyan Sampada
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
आपको भविष्य के बारे में विचार करना चाहिए आपको इस जिंदगी का आपका बुढ़ापा किस तरीके से शानदार बीते इसके लिए आपको जवानी की हिफाजत करनी चाहिए आपके घर की आर्थिक स्थिति भविष्य में डगमगाने ना पाए इसीलिए आज से आपको अपनी किफायत शैली पर गौर करना चाहिए और अपने घर के रहन सहन के बारे में घर की व्यवस्था के बारे में ठीक रखना चाहिए बच्चे आपके भविष्य में इज्जत करें इसीलिए आज अपने तौर-तरीके ऐसे बना के रखने चाहिए जिससे कि बड़े बड़े होने पर जब आप कमजोर और असमर्थ हो जाएंगे बुड्ढे हो जाएंगे तब आपके जो बच्चे जो आपको वही काम करते हुए देखते हैं तब आपके ऊपर धिक्कारने ना पाए लानत पटकने ना पाए इसलिए आप अपने ढांचे को अभी से क्यों न बदल ले सबसे बड़ी बात यह है कि आपको भगवान के दरबार में पेश होना पड़ेगा इस काम से आपका बचाव नहीं हो सकता भगवान ने आप जिस जिस दिन जन्मे थे बहुत कीमती शरीर दिया था और इस उम्मीद से दिया था कि आप इसका ठीक इस्तेमाल करेंगे उसकी ये शानदार दुनिया के लिए कोई सेवा करने में समर्थ हो सकेंगे |
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड-ज्योति से
जैसा आप चाहते हो कि दूसरे आपके साथ बर्ताव करें वैसा आप भी उनके साथ करो, इस नीतिवाक्य को याद रखो। नित्य के जीवन−व्यवहार में यह आपका आचार−नियम होना चाहिए, समस्त धर्मों का साराँश यही है, आप कोई अनुचित कर्म नहीं करोगे, आपको अमित आनन्द मिलेगा।
जब तुम बाजार में जाओ तो हमेशा अपनी जेब में कुछ पैसे डाले रखो और उन्हें गरीबों को बाँट दो। रेलवे प्लेटफार्म पर गरीब कुलियों से झगड़ा मत करो, उदार बनो उन्हें चार आने या आठ आने दो। अनुभव करो कि सारी देहों में आप ही रम रहे हो, आपका हृदय विशाल हो जावेगा, आप एकत्व का अनुभव करने लगोगे, आप और भी उदार बन जाओगे।
आप दवाइयों की एक पेटी अपने साथ रख सकते हो और गरीब रोगियों की चिकित्सा कर सकते हो, होम्योपैथिक दवाइयों का इलाज कोई हानि नहीं करता है। पुस्तक देख देखकर अप दवाई दे सकते हो। किसी बायोकैमिस्ट से मिलकर अपना सन्देह दूर कर सकते हो। ऐसी सेवा से आपको बहुत आनन्द मिलेगा, इससे चित्त−शुद्धि बहुत होती है।
महात्मा गाँधी की आत्मकथा पढ़िए। वह सम्मानित कार्य और तुच्छ नीच सेवा में भेद नहीं समझते थे। उनके लिये झाडू लगाना और टट्टी साफ करना बहुत बड़ा योग है। उन्होंने स्वयं टट्टियाँ साफ की हैं। अनेक प्रकार की सेवाएँ कर करके, उन्होंने इस मोहकारक ‘मैं’ को बिल्कुल ही नष्ट कर रखा है। बहुत से उच्च शिक्षा प्राप्त सज्जन इनके आश्रम में योग सीखने के लिये आये। वे सोचते थे कि महात्मा गाँधी जी उनको एकान्त कमरे में या परदे के पीछे विचित्र रीति से प्राणायाम, ध्यान, प्रत्याहार, कुण्डलिनी, योगादि की शिक्षा देंगे, परन्तु जब उनसे कहा गया कि सबसे पहले टट्टियाँ साफ करो तो उनको बड़ी निराशा हुई और वे एकदम आश्रम छोड़कर चले गये।
प्रति दिन जितने अधिक सत्कार्य हो सकें करिये, सोते समय अपने दिन भर के कार्यों की परीक्षा कीजिए और नित्य अपनी आध्यात्मिक डायरी नोट कीजिए। सत्कार्य करना ही आध्यात्मिक जीवन का उदय है।
श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज
अखण्ड ज्योति, मार्च 1955 पृष्ठ 9
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