SHOK SANDESH
हिरोशिमा की परमाणु बम त्रासदी में दिवंगत हुए लोगों को श्रद्धांजलि
दिवंगतों को श्रद्धाञ्जलि
हिरोशिमा शहर में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय परमाणु बम त्रासदी में दिवंगत हुई आत्माओं को पुष्पांजलि अर्पित करने का एवं शान्तिपाठ का कार्यक्रम रखा गया था। विश्व के चुने हुए महानुभावों के साथ माननीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने भी अखिल विश्व गायत्री परिवार एवं भारतवासियों की ओर से श्रद्धाञ्जलि दी।
प.पू. गुरूदेव के विचार हैं समाधान
उल्लेखनीय है कि हिरोशिमा में हुए परमाणु बम विस्फोट में 1,20,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। लगभग आधे लोग तो उसी दिन मारे गए थे। उसके तीन दिन बाद नागासाकी में परमाणु बम गिराया गया, जिसमें 70 से 80 हजार लोग मारे गए। इस अवसर पर भी शान्तिकुञ्ज प्रतिनिधि ने कहा कि ऐसी दुर्दांत विभीषिक...
साहित्यकार बहेलियों के कुत्तों की भूमिका ना निभायें
बहेलियों के पास शिकारी कुत्ते होते हैं। खरगोश, लोमड़ी, हिरन, आदि जानवरों के पीछे उन्हें दौड़ाते हैं। कुत्ते कई मील दौडक़र, भारी परिश्रम के उपरान्त शिकार दबोचे हुए मुँह में दबाये घसीट लाते हैं। बहेलिये उससे अपनी झोली भरते हैं और कुत्तों को एक टुकड़ा देकर सन्तुष्ट कर देते हैं। यही क्रम आज विद्या, बुद्धि के क्षेत्र में चल रहा है। पुस्तक-प्रकाशक बहेलिए -तथाकथित साहित्यकारों से चटपटा लिखाते रहते हैं। गन्दे, अश्लील, कामुक, पशु प्रवृत्तियाँ भडक़ाने वाले, चोरी, डकैती, ठगी की कला सिखाने वाले उपन्यास यदि इकट्ठे किए जाएँ, तो वे एवरेस्ट की चोटी जितने ऊँचे हो जाएँगे। अबोध जनमानस उन्हीं विष-मिश्रित गोलियों को गले निगलता रहता है। चूहों को मारने की दवा आटे में मिलाकर गोलियों बनाकर बिखेर दी जाती हैं । उन्हें खा...