राजस्थान में तीन महाविद्यालयों में कार्यशालाएँ 1000 विद्यार्थी लाभान्वित हुए

जयपुर। राजस्थान
दिया एवं युवा प्रकोष्ठ जयपुर ने 23 सितम्बर 2023 को तीन महाविद्यालय-पोद्दार मैनेजमेण्ट ऑफ एजुकेशन कॉलेज, एस.एस.जी. पारिक कॉलेज, श्री विनायक कॉलेज में युवा कार्यशालाओं का आयोजन किया। इसके माध्यम से लगभग 1000 विद्यार्थियों को जीवन की उत्कृष्टता के सूत्र प्रदान करने के साथ आध्यात्मिक दिव्यता से जोड़ने का प्रयास भी किया गया। युवा प्रकोष्ठ संयोजक श्री पृथ्वी नाथ जी के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यशाला में बुद्धि का विकास, मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन और स्वास्थ्य प्रबंधन विषयों पर प्रमुख रूप से मार्गदर्शन किया गया। गायत्री परिवार की ओर से ज्ञानेश शर्मा, अजय भारद्वाज, सुश्री पायल, दीक्षा, रामेश्वर सिंह एवं भुवनेश गौतम ने विविध विषयों पर प्रकाश डाला।
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अपने चरित्र का निर्माण करो
जिसे तुम अच्छा मानते हो, यदि तुम उसे अपने आचरण में नहीं लाते तो यह तुम्हारी कायरता है। हो सकता है कि भय तुम्हें ऐसा नहीं करने देता हो, लेकिन इससे तुम्हारा न तो चरित्र ऊंचा उठेगा और न तुम्हें गौरव म...

नवरात्रि अनुष्ठान का विधि- विधान
नवरात्रि साधना को दो भागें में बाँटा जा सकता है : एक उन दिनों की जाने वाली जप संख्या एवं विधान प्रक्रिया। दूसरे आहार- विहार सम्बन्धी प्रतिबन्धों की तपश्चर्या। दोनों को मिलाकर ही अनुष्ठान पुरश्चरणों...

अपने आपको पहचानिये।
दूसरों की बुराइयाँ सभी देखते हैं परन्तु अपनी ओर देखने का अभ्यास बहुत कम लोगों को होता है। सुप्रसिद्ध विचारक इमर्सन का कथन है- ‘बहुत कम लोग मृत्यु से पूर्व अपने आपको पहिचान पाते हैं’ बहु...

आत्म निर्माण की ओर (भाग 1)
छोटी छोटी साधारण बातें बड़ी महत्वपूर्ण होती हैं-उनमें तत्वज्ञान और बड़े बड़े सत्य सिद्धान्त मिलते हैं। तुममें जितना ज्ञान है उसका उपयोग करते रहो जिससे वह नित्य नवीन बना चमकता रहेगा। केवल पुस्तकें प...

आत्म निर्माण की ओर (भाग २)
किसी रोज सन्ध्या समय विश्लेषण करने में जब मालूम हो जाय कि आज दिन भर हमने किसी की निन्दा नहीं की, कोई हीन बात नहीं बोले, किसी का तिरस्कार नहीं किया, चुगली नहीं की, तो समझ लो कि उस दिन तुम्हारा आध्या...

आत्म निर्माण की ओर (अन्तिम भाग)
जब तुम किसी व्यक्ति के व्यवहार में संकीर्णता पाओ, किसी से किसी की चुगली सुनो तो उसके अनुसार कोई काम मत कर डालो और न वह बात लोगों में जाहिर करो। इससे तो वह दुर्गुण फैलता है-दुर्गंध की भाँति और सब सु...

दूसरों के दोष ही गिनने से क्या लाभ (भाग 1)
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कि बदबीनी आदत है शैतान की, इसी में बुराई की जड़ है छिपी।
महात्मा ईसा ने कहा है कि “दूसरों के दोष मत देखो जिससे कि मरने...

क्षणिक अस्तित्व पर इतना अभिमान
अमावस की रात में दीप ने देखा-न चाँद और न कोई ग्रह नक्षत्र न कोई तारा-केवल वह एक अकेला संसार को प्रकाश दे रहा है। अपने इस महत्व को देख कर उसे अभिमान हो गया।
संसार को सम्बोधित करता हुआ अ...

आत्मविजेता ही विश्व विजेता
साधना से तात्पर्य है ‘आत्मानुशासन’। अपने ऊपर विजय प्राप्त करने वाले को सबसे बढ़कर योद्धा माना गया है। दूसरों पर आक्रमण करना सरल है। बेखबर लोगों पर हमला करना तो और भी सरल है। इसलिए आक्रमण...

ज्ञान
संसार में प्रत्येक व्यक्ति ज्ञानी है, प्रत्येक व्यक्ति ज्ञान चाहता है, प्रत्येक व्यक्ति अपने को ज्ञानी समझता है, इसीलिये ज्ञान को नहीं प्राप्त कर पाता है। क्योंकि ज्ञानी को ज्ञान की क्या आवश्यकता ह...