गायत्री का तत्त्व दर्शन समझाया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश
दिनांक 10 सितम्बर 2023 को गायत्री परिवार आलमबाग द्वारा शनि मंदिर परिसर, एल.डी.ए. कॉलोनी लखनऊ परिसर में दिव्य युवा जागरण कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रो. बी. यादव ने बड़े विस्तार के साथ गायत्री का तत्त्व दर्शन समझाया और गायत्री उपासना के माध्यम से जीवन को उत्कृष्ट बनाने की प्रेरणा दी।
डॉ. प्रवीण सिंह, डॉ. रत्नाकर सरकार, श्री अरूण कुमार, श्री प्रशांत शुक्ला आदि वक्ताओं ने जीवन के लक्ष्य और उसकी सार्थकता का विश्लेषण करते हुए बड़े महत्त्वपूर्ण सूत्र समझाये। कार्यक्रम का समापन प्रो. आर.आर. सिंह द्वारा विदाई एवं प्रमाण पत्र के वितरण के साथ संपन्न हुआ।
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अपने चरित्र का निर्माण करो
जिसे तुम अच्छा मानते हो, यदि तुम उसे अपने आचरण में नहीं लाते तो यह तुम्हारी कायरता है। हो सकता है कि भय तुम्हें ऐसा नहीं करने देता हो, लेकिन इससे तुम्हारा न तो चरित्र ऊंचा उठेगा और न तुम्हें गौरव म...

नवरात्रि अनुष्ठान का विधि- विधान
नवरात्रि साधना को दो भागें में बाँटा जा सकता है : एक उन दिनों की जाने वाली जप संख्या एवं विधान प्रक्रिया। दूसरे आहार- विहार सम्बन्धी प्रतिबन्धों की तपश्चर्या। दोनों को मिलाकर ही अनुष्ठान पुरश्चरणों...

अपने आपको पहचानिये।
दूसरों की बुराइयाँ सभी देखते हैं परन्तु अपनी ओर देखने का अभ्यास बहुत कम लोगों को होता है। सुप्रसिद्ध विचारक इमर्सन का कथन है- ‘बहुत कम लोग मृत्यु से पूर्व अपने आपको पहिचान पाते हैं’ बहु...

आत्म निर्माण की ओर (भाग 1)
छोटी छोटी साधारण बातें बड़ी महत्वपूर्ण होती हैं-उनमें तत्वज्ञान और बड़े बड़े सत्य सिद्धान्त मिलते हैं। तुममें जितना ज्ञान है उसका उपयोग करते रहो जिससे वह नित्य नवीन बना चमकता रहेगा। केवल पुस्तकें प...

आत्म निर्माण की ओर (भाग २)
किसी रोज सन्ध्या समय विश्लेषण करने में जब मालूम हो जाय कि आज दिन भर हमने किसी की निन्दा नहीं की, कोई हीन बात नहीं बोले, किसी का तिरस्कार नहीं किया, चुगली नहीं की, तो समझ लो कि उस दिन तुम्हारा आध्या...

आत्म निर्माण की ओर (अन्तिम भाग)
जब तुम किसी व्यक्ति के व्यवहार में संकीर्णता पाओ, किसी से किसी की चुगली सुनो तो उसके अनुसार कोई काम मत कर डालो और न वह बात लोगों में जाहिर करो। इससे तो वह दुर्गुण फैलता है-दुर्गंध की भाँति और सब सु...

दूसरों के दोष ही गिनने से क्या लाभ (भाग 1)
अगर है मंजूर तुझको बेहतरी, न देख ऐब दूसरों का तु कभी।
कि बदबीनी आदत है शैतान की, इसी में बुराई की जड़ है छिपी।
महात्मा ईसा ने कहा है कि “दूसरों के दोष मत देखो जिससे कि मरने...

क्षणिक अस्तित्व पर इतना अभिमान
अमावस की रात में दीप ने देखा-न चाँद और न कोई ग्रह नक्षत्र न कोई तारा-केवल वह एक अकेला संसार को प्रकाश दे रहा है। अपने इस महत्व को देख कर उसे अभिमान हो गया।
संसार को सम्बोधित करता हुआ अ...

आत्मविजेता ही विश्व विजेता
साधना से तात्पर्य है ‘आत्मानुशासन’। अपने ऊपर विजय प्राप्त करने वाले को सबसे बढ़कर योद्धा माना गया है। दूसरों पर आक्रमण करना सरल है। बेखबर लोगों पर हमला करना तो और भी सरल है। इसलिए आक्रमण...

ज्ञान
संसार में प्रत्येक व्यक्ति ज्ञानी है, प्रत्येक व्यक्ति ज्ञान चाहता है, प्रत्येक व्यक्ति अपने को ज्ञानी समझता है, इसीलिये ज्ञान को नहीं प्राप्त कर पाता है। क्योंकि ज्ञानी को ज्ञान की क्या आवश्यकता ह...