चाहिए साहसी, जिम्मेदार:-
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युग निर्माण योजना, शतसूत्री कार्यक्रमों में बँटी हुई है। वे यथास्थान, यथास्थिति, यथासंभव कार्यान्वित भी किए जा रहे हैं, पर एक कार्यक्रम अनिवार्य है और वह यह कि इस विचारधारा को जन-मानस में अधिकाधिक गहराई तक प्रविष्ट कराने, उसे अधिकाधिक व्यापक बनाने का कार्यक्रम पूरी तत्परता के साथ जारी रखा जाए। हम थोड़े व्यक्ति युग को बदल डालने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। धीरे-धीरे समस्त मानव समाज को सद्भावना सम्पन्न एवं सन्मार्ग मार्गी बनाना होगा और यह तभी संभव है जब यह विचारधारा गइराई तक जन-मानस में प्रविष्ट कराई जा सके। इसलिए अपने आस-पास के क्षेत्र में इस प्रकाश को व्यापक बनाए रखने का कार्य तो परिवार के प्रत्येक प्रबुद्ध व्यक्ति को करते ही रहना होगा।
अन्य कोई कार्यक्रम कहीं चले या न चले, पर यह कार्य तो अनिवार्य है कि इस विचारधारा से अधिकाधिक लोगों को प्रभावित करने के लिए निरंतर समय, श्रम, तन एवं मन लगाया जाता रहे। जो ऐसा कर सकते हैं, जिनमें ऐसा करने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो गई है, उन्हें हम अपना उत्तराधिकारी कह सकते हैं। धन नहीं, लक्ष्य हमारे हाथ में है, उसे पूरा करने का उत्तरदायित्व भी हमारे उत्तराधिकार में किसी को मिल सकता है। उसे लेने वाले भी कोई बिरले ही होंगे। इसलिए उनकी खोज तलाश आरंभ करनी पड़ रही है।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति, दिसम्बर १९६४, पृष्ठ ४९, ५०
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