आस्था के दीप और समर्पण की अग्नि: 108 कुंडीय विराट गायत्री महायज्ञ का दिव्य अनुष्ठान

सुजानगढ़, राजस्थान में 108 कुंडीय विराट गायत्री महायज्ञ की कलश यात्रा का शुभारंभ 11000 बहनों द्वारा हुआ। अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार के मार्गदर्शन में 26 से 29 दिसंबर 2024 तक चल रहे इस महायज्ञ में समस्त श्रद्धालुओं को एक साथ जोड़ने और समाज में आध्यात्मिक जागरूकता* का प्रसार करने का संदेश दिया गया।
आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी, प्रतिकुलपति, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति ने सभी को नवसृजन के लिए संकल्प का बल दिया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा, “जो भक्ति में सच्ची पुकार लगाता है, उसकी आवाज भगवान तक अवश्य पहुँचती है। श्रद्धा, समर्पण और विश्वास के बिना जीवन अधूरा है। भगवान हमारी पुकार को सुनते हैं और हमें अनुग्रहित करते हैं।”
महायज्ञ के अवसर पर गायत्री शक्तिपीठ में प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा का लोकार्पण भी किया गया। इस आयोजन में वृक्षारोपण और दीप यज्ञ जैसे विशेष कार्यक्रम भी शामिल हैं, जो समाज में पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक हैं।
डॉ. पंड्या जी ने अपने संदेश में सभी श्रद्धालु परिजनों से आग्रह किया कि वे इस आयोजन से प्रेरित होकर भक्ति, सेवा, और समर्पण के मार्ग पर चलें, ताकि समाज और राष्ट्र में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सके। इससे पूर्व ओसियां - सुजानगढ़ मार्ग में नागौर और लाडनूं में उन्होंने गायत्री परिजनों से भेंट की। प्रस्तुत है झलकियां।
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