आत्मचिंतन के क्षण
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/2987/1.jpg-S_DhcTvtdBn62)
जीवन का लक्ष्य खाओ पीओ मौज करो के अतिरिक्त कुछ और ही रहा होगा यदि हमने अपना अवतरण ईश्वर के सहायक सहयोगी के रूप में उसकी सृष्टि को सुन्दर समुन्नत बनाने के लिए हुआ अनुभव किया होता पर किया क्या जाय बुद्धिमान समझे जाने वाले मनुष्य पर अदूरदर्शिता और मूर्खता भी उतनी ही सघन बनकर छाई हुई है।
असत्य का मार्ग पकड़ कर लोग थोड़े दिनों तक लाभ अर्जित कर सकते हैं, अपनी आमदनी और इज्जत बढ़ा सकते हैं, अपनी शान-शौकत जताकर लोगों को थोड़े दिन तक उल्लू बना सकते हैं, किन्तु रामलीला के नकली रावण को जैसे ही दियासलाई लगती है, विशालकाय रावण थोड़ी ही देर में जलकर भस्म हो जाता है। वैसे ही असत्य का अनावरण एक न एक दिन होता ही है। स्थिरता केवल सचाई में है। उसको समझने में देर भले ही लग सकती है। अन्ततः विजय सत्य की होती है। “सत्यमेव जयते नानृतमः”।
सत्य-पथ का पथिक न कभी अशान्त होता है, न शोक करता है, न सन्ताप करता है। यह सब असत्य-परायणों के लिए ही निश्चित हैं। सत्य-परायण के लिए लोक में शान्ति एवं सम्मान तथा परलोक में स्वर्ग सुरक्षित रखा है, जिसे वह अधिकारपूर्वक प्राप्त करता है। सत्य का अनुसरण करने वाला क्या भौतिक और क्या आध्यात्मिक किसी भी क्षेत्र में असफल नहीं होता। सत्य बोलने, सत्य के अनुरूप सोचने और सत्य से स्वीकृत कर्म करने से ही मनुष्य सत्य-स्वरूप परमात्मा को प्राप्त कर सकता है।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
Recent Post
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3691/IMG-20210620-WA0067-1024x827.jpg-VwsM20ydAZb2k)
स्वर्ण जयंती वर्ष में शांतिकुंज पर जारी डाक टिकट शांतिकुंज में उपलब्ध।
पांच रुपए प्रति एक टिकट के दर पर मुख्य कार्यालय शांतिकुंज के टेलीफोन नंबर 9258369701 एवं 01334261328 पर कॉल करके आप इसे अपने पते पर बुला सकते है।
दिनांक 20 जून 2021 को गंगा दशहरा गायत्री ...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3687/Sutra No 2 (1).jpg-8DHNkYvBH9Zj93)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (भाग १)
संसार में अवाँछनीयता कम और उत्कृष्टता अधिक है। तभी तो यह संसार अब तक जीवित है। यदि पाप अधिक और पुण्य स्वल्प रहा होता तो अब तक यह दुनिया श्मशान बन गई होती। यहाँ सत्य, शिव और सुन्दर इन तीनों में से ए...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3686/102 (2).jpg-exgUoXUX-FYj93)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (भाग २)
दिन-दहाड़े सरे-बाजार गुण्डागर्दी होती रहती है और यह भले बनने वाले लोग चुपचाप उस तमाशे को देखते रहते हैं। गुण्डों की हिम्मत बढ़ती है और वे आये दिन दूने उत्साह से वैसी ही हरकतें करते हैं। यदि देखने व...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3685/408.jpg-Hi2J2U5ev_62k)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (भाग ३)
भगवान बुद्ध ने तत्कालीन अनाचारों के- मूढ़ मान्यताओं के विरुद्ध प्रचण्ड क्रान्ति खड़ी की थी, इसी संघर्ष से जूझने के लिए उन्होंने जीवधारी भिक्षुओं और श्रवणों की सेना खड़ी की थी। स्वार्थ के लिए तो सभी...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3684/351 (1).jpg-oV18dXGHByYj93)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (भाग ४)
यज्ञ सन्दर्भ में एक श्रुति वचन प्रयोग होता है- ‘‘मन्यु रसि मन्यु मे दहि’’ हे भगवान् आप ‘मन्यु’ हैं हमें ‘मन्यु’ प्रदान करें। मन्यु का अर्थ है वह क्रो...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3683/265.jpg-QW3sF0FQKz62k)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (अंतिम भाग)
“चोर-चोर मौसेरे भाई” की उक्ति हर क्षेत्र में लागू होते देखते हैं। एक का पर्दाफाश होते ही-दूसरे अन्य मठकटे उसकी सहायता के लिए आ धमकते हैं। सोचते हैं संयुक्त मोर्चा बनाकर ही जन आक्रोश से ...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3682/hamari Part 15A (4).jpg-z-SKQlt0eqYj93)
चाहिए साहसी, जिम्मेदार:-
युग निर्माण योजना, शतसूत्री कार्यक्रमों में बँटी हुई है। वे यथास्थान, यथास्थिति, यथासंभव कार्यान्वित भी किए जा रहे हैं, पर एक कार्यक्रम अनिवार्य है और वह यह कि इस विचारधारा को जन-मानस में अधिकाधिक ...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3681/GM 222 (1).jpg-x_baVhHVLmYj93)
उपहासास्पद ओछे दृष्टिकोण-
यों ऐसे भी लोग हमारे संपर्क में आते हैं जो ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त करने के लिए कुण्डलिनी जागरण, चक्र जागरण और न जाने क्या-क्या आध्यात्मिक लाभ चुटकी मारते प्राप्त करने के लिए अपनी अधीरता व्यक्त करते है...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3680/120_11H.jpg-83BAFXsv_y62k)
जिनमें साहस हो आगे आवें
हमारा निज का कुछ भी कार्य या प्रयोजन नहीं है। मानवता का पुनरुत्थान होने जा रहा है। ईश्वर उसे पूरा करने वाले हैं। दिव्य आत्माएँ उसी दिशा में कार्य कर भी रही हैं। उज्ज्वल भविष्य की आत्मा उदय हो रही ह...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3679/meditation-3338691_960_720.jpg-THFXmdM_YgYj93)
उत्थान और आनन्द का मार्ग
इन थोड़ी सी पंक्तियों में यह विस्तारपूर्वक नहीं बताया जा सकता कि मन की मलीनता को हटा देने पर हम पतन और संताप से कितने बचे रह सकते हैं, और मन को स्वच्छ रखकर उत्थान और आनन्द का कितना अधिक लाभ प्राप्त...