प्रेम का अर्थ
“प्रेम करने का अर्थ है विश्व के सब जीवों और वस्तुओं से आत्मीयता, बन्धुत्व और एकता का अनुभव करना, और इतना गहरा अनुभव करना कि अपने आस-पास के सब लोगों पर उसका प्रभाव पड़े ओर उन्हें अधिक सुरक्षा और एकता की प्रतीति हो। प्रेम से सब के कल्याण और उन्नति की भावना उत्पन्न होती है। प्रेम से निर्भीकता, स्पष्टता, स्वतंत्रता और सत्यता बढ़ती है। प्रत्येक माता जानती है कि प्रेम देश और काल से सीमित नहीं होता। प्रेम से हमें अपनी अनन्तता और असीमता का अनुभव होने में सहायता मिलती है। प्रेम द्वारा ऐसी भावना बनाने से घृणायुक्त व्यक्ति में भी अच्छाई और प्रेम का जीवन भरा जा सकता है। प्रेम में महान उत्पादक शक्ति है। इसका परिणाम प्रारम्भ में चाहे धीरे-धीरे हो किन्तु स्थायी होता है। यह प्रभाव जिस व्यक्ति से प्रेम या विश्वास किया जाता है, उसके हृदय और चरित्र में बैठ जाता है।”
बी-ग्रेग
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रचनात्मक उमंग जागे
सृजन एक मनोवृत्ति है, जिससे प्रभावित हर व्यक्ति को अपने समय के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कुछ न कुछ कार्य व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से निरंतर करना होता है। उसके बिना उसे चैन ही नहीं मिलता। किस परिस्...
कबीर दास जी के एक-एक दोहे हजार धर्मशास्त्रों पर भारी
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स्वाध्याय एक अनिवार्य दैनिक कृत्य
मानव जीवन में सुख की वृद्धि करने के उपायों में स्वाध्याय एक प्रमुख उपाय है। स्वाध्याय से ज्ञान की वृद्धि होती है। मन में महानता, आचरण में पवित्रता और आत्मा में प्रकाश आता है। स्वाध्याय एक प्र...
जाग्रत् आत्माओं से याचना
ज्ञानयज्ञ के लिए समयदान, यही है प्रज्ञावतार की जाग्रत् आत्माओं से याचना, उसे अनसुनी न किया जाए। प्रस्तुत क्रिया-कलाप पर नए सिरे से विचार किया जाए, उस पर तीखी दृष्टि डाली जाए और लिप्सा में निरत जीवन...
सर्वभूत हितरेता:
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सेवा और प्रार्थना
तुम मुझे प्रभु कहते हो, गुरु कहते हो, उत्तम कहते हो, मेरी सेवा करना चाहते हो और मेरे लिए सब कुछ बलिदान कर देने को तैयार रहते हो। किन्तु मैं तुम से फिर कहता हूँ, तुम मेरे लिये न तो कुछ करते हो...
विभूतियाँ महाकाल के चरणों में समर्पित करें
प्रचारात्मक, संगठनात्मक, रचनात्मक और संघर्षात्मक चतुर्विधि कार्यक्रमों को लेकर युग निर्माण योजना क्रमशः अपना क्षेत्र बनाती और बढ़ाती चली जायेगी। निःसन्देह इसके पीछे ईश्वरीय इच्छा और महाकाल की विधि ...
विचारों का अवतार
इस वक्त लोगों की इच्छा हो रही है कि भगवान अवतार लें जिसे मैं पुरानी भाषा में अवतार प्रेरणा कहता हूँ। तुलसीदास ने वर्णन किया है कि पृथ्वी संत्रस्त होकर गोरूप धारण कर भगवान से प्रार्थना करती है कि हे...
मनुष्य को मनुष्य बनाने वाला धर्म
“मेरे देशवासियों! विषम परिस्थितियों का अन्त आ गया। काफी रो चुके, अब रोने की आवश्यकता नहीं रही। अब हमें अपनी आत्म शक्ति को जगाने का अवसर आया है। उठो, अपने पैरों पर खड़े हो और मनुष्य बनो।...