Magazine - Year 1941 - Version 2
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“संकीर्तन” का आगामी विशेषाँक
श्रीकृष्णचरिताँक
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‘संकीर्तन’ के पाठकों को यह जान कर हर्ष होगा कि हमने अपने आगामी विशेषाँक के रूप में उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का भावमय पूरा चरित भेंट करने का निश्चय किया है। अब तक हिन्दी में अनेक श्री कृष्ण चरित निकले हैं, पर उनमें एक भी भक्तों के अनुकूल नहीं। सब उन लीला-पुरुषोत्तम को सामान्य पुरुष मान कर लिखे गये हैं। ‘आँजनेय’ के लेखक की लेखनी से निकला यह चरित प्रति पृष्ठ पर आपको भाव विभोर कर देगा। जिन सज्जनों को इस अद्भुत प्रेममय ग्रन्थ को प्राप्त करना हो, वे अभी से ‘संकीर्तन’ के आगामी वर्ष के ग्राहक होकर अपना अंक रिजर्व करालें। कागज के दाम बहुत बढ़ गये है, इससे अंक थोड़े ही छपेंगे। फिर नहीं प्राप्त हो सकते।
विनीत
गंगा प्रसाद शर्मा
व्यवस्थापक-संकीर्तन कार्यालय, मेरठ
विख्यात दार्शनिक विद्वान् आचार्य इन्द्र रचित पुस्तकें
जो पौने मूल्य पर मिलेंगी :-
(1) श्रीकृष्ण लीला-रहस्य - लगभग 2000 पृष्ठों के चार भागों में श्रीकृष्ण लीला सम्बन्धी -ऐतिहासिक, धार्मिक, दार्शनिक एवं साहित्यिक अन्वेषणों से युक्त -अद्भुत ग्रन्थ संसार के सभी विद्वानों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। मूल्य 6) किन्तु अब 4॥) में।
(2) प्रेम-दर्शन-मीमाँसा - लगभग 700 पृष्ठों के दो भागों में- थोड़ी सी प्रतियाँ शेष रह गई हैं। प्रेम-सम्बन्धी इस महाग्रन्थ को प्रेमियों ने बहुत अपनाया। प्रेम के सभी आवश्यक-प्रसंगों पर सरस, प्रेममयी भाषा में, लिखे हुए इस प्रेम-ग्रन्थ का मूल्य 2) किन्तु अब 1॥)
निःश्वास- गद्य-काव्य-की॰ । ), किन्तु अब।)
(4) Sighs- अंगरेजी-गद्य-काव्य-की॰ ॥) किन्तु अब । )
(5) भक्ति रत्नावली-भागवत महापुराण के चुने हुए प्रेम और भक्ति-बोधक श्लोकों सहित हिन्दी अनुवाद-मूल्य ॥।) किन्तु अब ॥)
‘अखण्ड ज्योति’ के कुछ अमूल्य रत्न
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यह पुस्तकें आपको देव-दूत बना सकती हैं॥
अपनी अनन्त शक्ति द्वारा, पीड़ित संसार का भला कीजिए।
अखण्ड ज्योति द्वारा ‘सद् ज्ञान ग्रंथमाला’ नामक एक पुस्तकमाला का प्रकाशन भी आरम्भ हो गया है। इस योजना के अनुसार ऐसे ग्रन्थ रत्न प्रकाशित किये जाएंगे जो मानव जीवन में एक नवीन क्रान्ति उपस्थित करते हैं । जिस अलभ्य ज्ञान के लिये जीवन का बहुत बड़ा भाग तलाश और अभ्यास में लगाना पड़ता है, उसे वैज्ञानिक ढंग से सुगम तरीकों द्वारा समझाया जाता है और पुस्तक प्रकाशन से पूर्व उस विषय को पूरी तरह से अनुभव एवं परीक्षा की कसौटी पर कस लिया जाता है। यह ग्रन्थमाला किसी ऐसी पुस्तकों को कदापि प्रकाशित न करेगी जिसकी भली भाँति परीक्षा न कर ली गई हो ।
अब तक जो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं उनका परिचय इस प्रकार है।
मैं क्या हूँ? - यह पुस्तक आत्मा के अमरत्व और उसके वास्तविकता स्वरूप का प्रत्यक्ष चित्र है। साँसारिक भ्रम और माया के कठिन बन्धनों से छुटकारा पाकर आत्मा कैसे मुक्त हो सकती है। इसमें आत्म साक्षात्कार के कुछ अभ्यास बताये गये हैं। इन साधनों को घरेलू काम काजों में लगे रह कर भी प्रतिदिन थोड़े समय में कर सकते है और अमर फल प्राप्त कर सकते हैं मूल्य 1)
सूर्य चिकित्सा विज्ञान -सूर्य की प्रचण्ड रोगनाशक शक्ति से कठिन और असाध्य रोगों को भी दूर किया जा सकता है। डाक्टरों के अनेक अनुसंधानों का सार लेकर लिखा गया है और यह पुस्तक एक स्वतन्त्र चिकित्सा शास्त्र बन गई है, इसी के आधार पर साधारण बुद्धि का आदमी डाक्टरों की भाँति इलाज करके हजारों व्यक्तियों को रोग मुक्त कर सकता है, मूल्य)
प्राण चिकित्सा विज्ञान-मनुष्य के अन्दर गजब की विद्युत शक्ति है, इसका प्रयोग करके अपने और दूसरों के कष्टों को दूर किया जा सकता है, झाड़ फूँक ओर तन्त्र मन्त्रों की प्राचीन पद्धति को यह पुस्तक वैज्ञानिक स्वरूप में उपस्थित करती है। विदेशों में इस विधि से बड़े बड़े अस्पताल चल रहे हैं। मूल्य 1)
पर काया प्रवेश-मनुष्यों के शरीर में प्रेतात्माओं के घुस आने की बात सब लोग जानते हैं। इस पुस्तक में मैस्मरेज्म के ढंग पर कुछ अद्भुत उपाय बताते हैं, जिनके आधार पर आप जीवित अवस्था में भी दूसरों के शरीर में प्रवेश कर सकते है और उनके विचारों में आश्चर्यजनक परिवर्तन करके उन्हें अपनी इच्छानुसार चलने को मजबूर कर सकते हैं। मूल्य 11) वी॰पी॰ से मंगाने पर 11) पोस्टेज अलग देने होंगे। इसलिये मूल्य मनीआर्डर से भेजना चाहिये।
पता अखण्ड-ज्योति कार्यालय, मथुरा
*समाप्त*