Magazine - Year 1948 - Version 2
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Language: HINDI
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जप मात्र से रोग मुक्ति
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(डॉ. रामकृष्ण आर्य, लखनऊ)
गायत्री की साधना को निरन्तर कई महीने तक किया अरसा 14 मास का हुआ। अतः अपना रोज का कर्म है प्रातः सायं दोनों समय गायत्री का जाप। कोई नियम संख्या नहीं है। दिन में किसी समय भी मन में चिन्तन रहता है या गुनगुनाया करता हूँ।
अब कोई भी दुख महसूस नहीं होता गायत्री ध्यान में रहने से दुख भूला रहता है। किसी भी अकस्मात घटना के घटने से घबराहट पैदा नहीं होती। मेरा साहस बहुत बढ़ गया है।
हमारे एक मित्र हैं पं0 जीवनलाल अवस्थी महानगर, लखनऊ। उनके गाँव में बीमारों की सेवा का सौभाग्य हमें प्राप्त है। वहीं पर एक स्त्री को सात मास का गर्भ था। उस कठिन रोग ग्रस्त हुई का केस मेरे ही हाथ में था। जब मैं रात को 10 बजे हालत देखने गया तो दाँती बंध गई थी कोई उपचार न करके मैंने गायत्री जप करना शुरू किया। आधे घंटे बाद देखा तो मरीज का टेम्परेचर 100 था। दाँती खुल चुकी थी रोगिणी अच्छी हो गई ऐसे ही और भी कई रोगियों पर गायत्री के चमत्कारिक प्रयोग हुए उनकी कितनी ही कठिनाइयों में सहायता भी करता हूँ।
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