Magazine - Year 1948 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
क्षमा प्रार्थना
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
(1)
न मंत्रों को जाना नहिं यतन आती स्तुति नहीं,
न आता है माता तब स्मरण आह्वन स्तुति ही,
न मुद्राएं आती जननि? नहिं आता विलपना ,
हमें आता तेरा अनुसरण ही क्लेशहर जो।
(2)
न आती पूजा की विधि न धन आलस्ययुत मैं,
रहा कर्तव्यों से विमुख चरणों में रति नहीं,
क्षमा दो हे माता? अयि सकल उद्धारिणि शिवो
कुपुत्रों को देखा कबहुँक कुमाता नहिं सुनी
(3)
धरित्री में माता सरल शिशु तेरे बहुत हैं,
उन्हीं में तो मैं भी सरल शिशु तेरा जननि हूँ,
अतः हे कल्याणी समुचित नहीं मोहि तजना ,
कुपुत्रों को देखा कबहुँक कुमाता नहिं सुनी।
(4)
जगन्माता अंबे तव चरणसेवा नहिं रची,
तुम्हारी पूजा में नहिं, प्रचुर द्रव्यादिक दिया,
अहो! तो भी माता तुम अमित स्नेहार्द्र रहतीं,
कुपुत्रों को देखा कबहुँक कुमाता नहिं सुनी।
(5)
सुरों की सेवाएँ विविध विधि की, हैं सब तजी,
पचासी से भी हे जननि वय बीती अधिक है,
नहीं होती मुझपर कृपा तो अब भला ,
निरालंबी लंबोदर-जननि जाएँ हम कहाँ ?
(6)
मनोहारी वाणी अधम जन चाँडाल लहते,
दरिद्री होते हैं अभय बहु द्रव्यदिक भरे ,
अपर्णे?, कर्णों में यह फल जनींके प्रविशता
अहो! तो भी आती जपविधि किसे है जननि हे!
(7)
चिताभस्मालेपी गरल अशनी दिक्पट धरे,
जटाधारी कंठे भुजगपति माला पशुपति,
कपाली पाते हैं इह जग जगन्नाथपदवी,
शिवे! तेरी पाणिग्रहण परिपाटी फल यही।
(8)
न है मोक्षाकाँक्षा नहिं विभववाँछा हृदय में,
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छा अब नहीं,
यही याँचा मेरी निज तनय को रक्षित करो
मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानी जपति जो।
(9)
नाना प्रकार उपचार किए नहीं हैं,
रूखा न चिंतन किया वचसा कभी भी,
श्यामे ! अनाथ मुझको लख जो कृपा हो,
तो है यही उचित अंब! तुम्हें सदा ही ।
(10)
आपत्ति से व्यथित हो तुमको भजूँ मैं ,
करो कृपा हे करुणार्णावे! शिवे !!
मेरे शठत्व पर आप न ध्यान देना,
क्षुधा तृषार्ता जननी पुकारते।
(11)
जगदंब विचित्र यह क्या, परिपूर्ण करुणा यदि करो,
अपराध करे तनय तो, जननी नहिं अनादर करे ।
----***----
*समाप्त*