
गायत्री परिवार हमारा (Kavita)
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सबसे अच्छा सबसे प्यारा।
गायत्री-परिवार हमारा॥
जब तक तन में प्राण रहेंगे।
इसकी हार न होने देंगे॥
प्राणों से भी अधिक दुलारा।
गायत्री-परिवार हमारा॥
तन-मन से इसको अपनावें।
अपना जीवन सफल बनावें॥
मातृ-कृपा का परम अधारा।
गायत्री-परिवार हमारा॥
आपस में सब ही मिल जावें।
भूले भटके गले लगावें॥
बहे प्रेम की निर्मल धारा।
गायत्री-परिवार हमारा॥
घर-घर में हम यज्ञ रचावें।
गायत्री गुणगान सुनावें॥
गूँजे अखण्ड ज्योति का नारा।
गायत्री-परिवार हमारा॥
नगर-नगर और डगर-डगर में।
गायत्री-ध्वज फहरे नभ में॥
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।
गायत्री-परिवार हमारा॥
सत्य, न्याय शुभ-प्रेम की गंगा।
जग में बहे करे मन चंगा॥
भाव असुरता का हो न्यारा।
गायत्री-परिवार हमारा॥
बोलो मा गायत्री की जय।
यज्ञ-पिता का हो यश अक्षय॥
श्रीराम का हमें सहारा।
गायत्री-परिवार हमारा॥
*समाप्त*
(श्री ब्यंकटेश दयाराम शर्मा, खलघाट, म.प्र.)
(श्री ब्यंकटेश दयाराम शर्मा, खलघाट, म.प्र.)