Magazine - Year 1964 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
VigyapanSuchana
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
पाक्षिक-पत्र के लिए समाचार और फोटो
युग-निर्माण योजना मासिक पत्र अपने ढंग का अनोखा समाचार पत्र होगा। 10&15 साइज के अखबारी साइज में 20 पृष्ठों का यह पत्र नवयुग का संदेश लेकर तैयारी के साथ प्रकाशित होने जा रहा है। उसका प्रथम अंक 7 जुलाई को प्रकाशित हो जायेगा। इसके बाद हर महीने 7 और 22 तारीख को प्रकाशित हुआ करेगा।
अखण्ड-ज्योति परिवार के प्रत्येक सक्रिय कार्यकर्ता को अपने लिए मार्ग दर्शन प्राप्त करने तथा जन-जीवन को सुविकसित करने के लिए जो रचनात्मक कार्य सारे देश भर में हो रहे हैं उन्हें जानने के लिए यह पत्र एक बड़ी आवश्यकता की पूर्ति करेगा। एक से दस पद्धति के अनुसार दस परिजनों को इसके पढ़ाये जाने से इसे संगठन कार्यक्रम का एक केन्द्र बिन्दु भी माना गया है।
गत वर्ष गुरु पूर्णिमा से युग-निर्माण योजना का विधिवत उद्घाटन हुआ था। तब से अब तक जहाँ, जिन व्यक्तियों द्वारा जो रचनात्मक कार्य संपन्न हुए हों, वहाँ के शाखा संचालक इस अवधि की पूरी रिपोर्ट जल्दी ही भेज दें ताकि उनका यथा संभव विवरण मासिक पत्र में छापा जा सके। आगे भी जो गतिविधियाँ चलें उनके समाचार प्रकाशनार्थ भेजे जाते रहने चाहिए।
शाखा संचालकों के आधे शरीर के बढ़िया कैमरे के खिंचे फोटो भी हमें साथ चाहिएं ताकि समाचारों के साथ जहाँ आवश्यक हो वे फोटो भी छापे जा सकें। पत्र में समाचारों के साथ-साथ आवश्यकतानुसार चित्र भी छपा करेंगे।
जिन्हें उपरोक्त पत्र का ग्राहक होना है वे अपने नाम इसी महीने नोट करा दें ताकि उतनी ही संख्या में उसे छापा जा सके। वार्षिक मूल्य 6 रुपये रहेगा।
जेष्ठ के तीन शिविर
यह अंक पाठकों के हाथ में जब तक पहुँचेगा तब तक जेष्ठ मास के दस-दस दिन वाले परामर्श शिविरों का क्रम आरंभ हो चुका होगा। प्रथम शिविर 26 मई से 4 जून तक, दूसरा 5 से 14 जून तक और तीसरा 15 से 24 जून तक का है। गर्मी की छुट्टियों में जिन्हें थोड़ा अवकाश मिल जाता है और उस समय को हमारे सान्निध्य, परामर्श में लगाना चाहते हैं, उनके लिए यह शिविर स्वर्ण-सुयोग की तरह उपयुक्त होंगे।
प्रत्येक व्यक्ति की अपनी-अपनी अलग-अलग समस्याएं होती हैं। शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, अध्यात्मिक अनेक गुत्थियाँ ऐसी होती हैं जिनके लिए किन्हीं अनुभवी व्यक्ति का परामर्श उनका हल खोजने के लिए उपयोगी सिद्ध होता है। ऐसे परिजनों के लिए यह तीनों शिविर सब प्रकार उपयोगी होंगे।
जीवन जीने की कला का व्यावहारिक ज्ञान एवं दैनिक जीवन में अध्यात्म आदर्शों का सरलतापूर्वक प्रयोग इन शिविरों के प्रशिक्षण की अपनी विशेषता होगी। जीवन निर्माण का जो प्रशिक्षण व्यापक रूप से किया जाना है उसका साराँश और प्रयोग-विधि इन शिविरों में संक्षिप्त रूप से बना दी जायेगी। किस दिशा में प्रगति करने के लिए क्या करना चाहिए, और वर्तमान कठिनाइयों को हल करने के लिए क्या गतिविधि अपनानी चाहिए इसे प्रयोगात्मक रूप से इस प्रकार इन शिविरों में समझाया जाता है कि शिक्षार्थी नया प्रकाश लेकर लौटे और मंगलमय नव-जीवन का आरंभ करे।
युग-निर्माण योजना के शतसूत्री कार्यक्रमों को कहाँ, कैसे, कितना आरंभ किया जा सकता है? इसकी संभावनाओं पर भी परामर्श किया जायेगा और आगत परिजनों की अपनी वर्तमान स्थिति में क्या कर सकना सरलतापूर्वक संभव हो सकता है, यह परामर्श दिया जायेगा।
बड़े सम्मेलनों की अपेक्षा छोटे शिविर हर दृष्टि से अधिक उपयोगी सिद्ध होते हैं। यह ध्यान में रखते हुए इस महीने यह तीन शिविर किये जा रहे हैं। इनमें आने के इच्छुकों को यहाँ के स्थान और सुविधा के अनुरूप स्वीकृतियाँ दी जा चुकी हैं। फिर भी किन्हीं को अधिक उत्कण्ठा हो तो दूसरे, तीसरे शिविरों में आने की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए पत्र लिख सकते हैं।
विस्तृत विवरण जुलाई अंक में
त्रिविध शिक्षण में सम्मिलित होने के लिए परिवार के अधिकाँश सज्जनों ने उत्सुकता प्रकट की है। साथ ही पाठ्य-क्रम, शिक्षा-पद्धति एवं व्यवस्था का विवरण पूछा है। पत्रों में इतनी बातों का उत्तर दे सकना संभव नहीं। इसलिए जुलाई अंक में इस संबंध की सारी जानकारी प्रकाशित कर देने का निश्चय किया गया है।
इन दिनों प्राप्त पत्रों से पता चलता है कि बहुमत इस बात के पक्ष में है कि बच्चों को मैट्रिक एवं इंटर तक की प्राइवेट परीक्षाएं देने की तैयारी कराई जाय और साथ ही उनके व्यक्तित्व को विकसित करने वाला प्रशिक्षण भी चलता रहे। इससे उन्हें सरकारी प्रमाण-पत्र से प्राप्त होने वाले लाभ भी प्राप्त कर सकने का दूसरा अवसर मिलेगा। यदि बहुमत इसी पक्ष में रहा तो वैसा प्रबंध भी हो सकना संभव है। यह शिक्षण क्रम अगले वर्ष से चलेगा।
एक वर्ष का उपाध्याय शिक्षण इसी आषाढ़ से ही आरंभ होगा। इस अवधि में एक गायत्री महापुरश्चरण, चान्द्रायण व्रत, गीता की विशिष्ट शिक्षा, धर्मोपदेश की योग्यता, प्राकृतिक चिकित्सा की सैद्धाँतिक एवं व्यावहारिक शिक्षा, रामायण, उपनिषद्, दर्शन एवं वेद के मर्मस्थलों का सार अध्ययन, योजना के अनुरूप रचनात्मक कार्यों का अनुभव, षोडश संस्कार करा सकने की योग्यता आदि कितने ही ऐसे विषयों को सीखने का अवसर मिलेगा जो किसी भी व्यक्ति को अपना और दूसरों का कल्याण कर सकने की क्षमता प्रदान करें।
गृहस्थों के एक मास का, उपाध्यायों का एक वर्ष का, ब्रह्मचारियों का चार वर्ष का शिक्षण सर्वथा निःशुल्क होगा, पर भोजन व्यय सभी अपना-अपना स्वयं उठावेंगे। जो स्वयं बना सकते हों वे अपना बना लें, जो न बना सकेंगे उनके लिए सम्मिलित भोजनालय की व्यवस्था कर दी जायेगी। इस संबंध में विस्तृत विवरण जुलाई अंक में रहेगा।