Magazine - Year 1964 - Version 2
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Language: HINDI
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महान बालक कासाविआन
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फ्राँसीसी और अंग्रेजों में युद्ध हो रहा था। नेल्सन के नेतृत्व में अंग्रेज सेना फ्राँसीसी सेना को परास्त करती हुई आगे बढ़ रही थी। समुद्री लड़ाई का भी पूरा जोर था। औरियम्ट नामक फ्राँसीसी जहाज पर भी गोलाबारी होने लगी। उसके कप्तान ने अपने ग्यारह वर्षीय लड़के कासाविआन का जहाज की एक छोटी जिम्मेदारी सौंप दी और कहा जब तक वह आज्ञा न दे तब तक वह वहीं ठहरा रहे और उसी काम को संभालता रहे।
युद्ध घमासान हो रहा था। गोलाबारी से औरियंट जहाज क्षत विक्षत हो गया वह डूबने लगा तो जहाज के कर्मचारी छोटी डोंगियों में उतर कर जान बचाने लगे। उन्होंने उस लड़के से भी कहा कि जहाज में आग लग गई है वह अब डूबने ही वाला है इसलिए जल्दी चलो तुम भी नाव में बैठकर अपनी जान बचाओ। लड़के ने कहा-मैं अपने पिता द्वारा सौंपी हुई जिम्मेदारी को छोड़कर यहाँ से हट नहीं सकता। वे आज्ञा देंगे तो ही यहाँ से हटूँगा। वह पिता को आज्ञा के लिए पुकारने लगा पर उसका कप्तान तो पहले ही गोली का शिकार हो चुका था उत्तर कौन देता। लड़का उसी काम पर अड़ा रहा और हंसते-हंसते मर गया। फ्राँसीसी इतिहासकारों ने इस घटना का स्मरण करते हुए लिखा है कि-उस युद्ध में विपुल हानि हुई पर नष्ट हुई चीजों में एक देश कीमती चीज उस कासाविआन का उच्च अन्तःकरण था।
स्वाध्याय सन्दोह-