Magazine - Year 1969 - Version 2
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Language: HINDI
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अपनों से अपनी बात
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नवयुग का अवतरण होने ही वाला है। भगवान उसके लिए सौम्य परिस्थितियाँ उत्पन्न कर रहे है। हम लोग ईश्वर की इसी इच्छा को पूर्ण करने में प्राण पग से लगे हुए है। भूतकाल का हमारा सारा क्रिया कलाप इसी की पृष्ठभूमि बनाने में बीता है और अगला जितना समय शेष हैं, वह भी इस प्रयोजन में समर्पित है। दो वर्ष बाद जिस विशिष्टतम साधना के लिए हमें अविज्ञात आवरण में जाना है, उसका उद्देश्य नवनिर्माण के अनुरूप व्यक्तियों एवं परिस्थितियों का सृजन करना ही है। तप प्रचण्ड शक्ति उत्पन्न होती है, जो जन मानस की किया भीड़ सकें। अज्ञानांधकार की तमिस्रा में डूबी हुई दिग्भ्रान्त लोक चेतना को प्रगति के राजमार्ग पर अग्रसर करने हेतु जिस प्रकाश ओर जिस बल की आवश्यकता होती है उस तप साधना से ही उत्पन्न किया जाता रहा है। हम अपनी विशेष तपश्चर्या आरम्भ करने जा रहे है। दोनों ही पक्ष मिलकर एक ऐसा अभिनव सूक्ष्म वातावरण उत्पन्न करेंगे, जिससे युग परिवर्तन के उपयुक्त परिस्थितियाँ विश्व चेतना के अन्तराल में उद्भूत हों सकें। जन आन्दोलन की स्थूल प्रक्रिया का सूत्र संचालन मथुरा से हो रहा है और शतसूत्री कार्यक्रमों के आधार पर हजारों शाखाओं में संगठित एवं संबद्धता 50 लाख व्यक्ति उस प्रयोजन की पूर्ति में अपने अपने ढंग से संलग्न है। नवनिर्माण का महान प्रयोजन ईश्वरीय निर्देशोँ और संकेतों के आधार पर चल रहा है। हमारी गतिविधियों का सूत्र संचालन भी वही से हो रहा है।
नवनिर्माण का स्वरूप और तन्त्र ‘वसुदेव कुटुंबकम्’ के आदर्श को व्यावहारिक रूप देने की आधार शिला पर खड़ा किया जा रहा है। मनुष्य को मनुष्य से पृथक करने