Magazine - Year 1978 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
रे! जीवन-तत्व लुटाता चल (kavita)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
अन्तघंट से ममता का मधु, तू रात-दिवस छलकाता चल।
रे! जीवन-तत्व लुटाता चल॥
जब पीर कहीं गहरायी हो।
जब आँख कहीं भर आयी हो॥
अपने आंचल से अरुण कपोलों पर के अश्रु सुखाता चख।
रे! जीवन-तत्व लुटाता चल॥
कोई भावुक मवडडडड प्यासा हो।
या गयी असीम निराशा हो॥
अपने उर से, आशा-उछाह-विश्वास वहां बरसाता चल।
रे! जीवन-तत्व लुटाता चल॥
कोई उर दिखे अभाव ग्रस्त।
जकडडडड की कुण्ठा से बहुत त्रस्त॥
अपने उदार सम्वेदन से उसके दुःख-दर्द मिटाता चल।
रे! जीवन-तत्व लुटाता चल॥
जो हृदय बन गया हो मरुथल।
चाहिए जिसे हो जल-शीतल॥
अपनी करुणा की गंगोत्री, उस हृदय हेतु सरसाता चल।
रे! जीवन-तत्व लुटाता चल॥
-माया वर्मा
*समाप्त*