Magazine - Year 1978 - Version 2
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Language: HINDI
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पदार्थ भी व्यक्ति और वातावरण से प्रभावित होते हैं।
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जड़ पदार्थ यों निर्जीव और निर्दोष मालूम पड़ते हैं इतने पर भी यह निश्चित है कि वे नीति और अनीति के आचरण से प्रभावित होते हैं और जिस भले या बुरे व्यक्ति के साथ रहते हैं− वातावरण से घिरते हैं उसका प्रभाव उन पर पड़े बिना नहीं रहता। श्रेष्ठ व्यक्तियों के उपयोग में आई हुई उनके द्वारा बनाई या सम्पर्क में रखी वस्तुओं में उनका प्रभाव रहता है। उनका उपयोग करने वाले लाभान्वित होते हैं। प्रसाद या उपहार में ऐसी किसी वस्तु का प्राप्त करना सौभाग्य का कारण बन जाता है। इसी प्रकार दुष्टता से प्रभावित वस्तुएं हानिकारक बन जाती हैं। कई मकान या पदार्थ कई बार अभिशप्त देखे गये हैं। उनके साथ कोई दुष्ट आचरण या व्यक्ति का प्रभाव जुड़ा होता है। फलतः वह जहाँ भी होता है अपना दुष्प्रभाव प्रकट करते हैं।
एक अभिशप्त हीरा दुनिया के अधिकांश भाग में पिछली शताब्दियों से यहाँ-वहाँ टक्करें खाता हुआ खानाबदोश की तरह घूम रहा है। वह जहाँ भी जाता है अपने आश्रयदाता का पूरी तरह सफाया करके रख देता है। कोई उसे मर्जी से नहीं छोड़ता, पर उसकी आदत ही ऐसी है कि देर तक कहीं ठहरे नहीं और आधिपत्य अहंकार की मूर्खता जताने वाले हर व्यक्ति को वास्तविकता का सबक सिखा कर आगे बढ़ जाय।
संसार में न सही− कम से कम अमेरिका में इन दिनों सब में कीमती समझा जाने वाला हीरा ‘होप’ है। इसका वजन किसी समय 112 कैरिट था, पर अब टुकड़े होते-होते उसका बड़ा भाग 42 कैरिट रह गया है। उसमें से काटे गये अन्य टुकड़े कहाँ हैं, इसका कुछ ठीक पता नहीं चल रहा है। इसकी अभिशप्त स्थिति का पता चलने पर अब कोई उसे खरीदने और अपने पास रखने को रजामन्द नहीं होता। इसलिए फिलहाल सस्ते मोल में उसे अमेरिका के प्रसिद्ध हीरा व्यवसायी संस्थान ‘स्मिथ सोनियन’ ने अपने सुरक्षित भण्डार में जमा कर दिया है। उसका मोलभाव नहीं होता केवल जब तब उसका प्रदर्शन भर कर दिया जाता है।
इसका अविज्ञात इतिहास यहाँ से आरम्भ होता है कि वह किसी को अचानक पड़ा मिला। उसने औरों को दिखाया। कीमत का पता चलने पर उसे मार डाला गया और बलवान ने उसे छीन लिया। जब मारने भर से बहुमूल्य सम्पत्ति हाथ लग सकती है तो उस सरल नीति को अपनाने का सिलसिला चल पड़ा। कहीं चोरी, कहीं हत्या उस कुचक्र में घूमते−घूमते वह हीरा किसी के पास भी बहुत समय तक न टिका और अधिक बलवान ने अपने से कमजोर को दबोच कर उसका अपहरण कर लिया। आरम्भ में वह बहुत समय तक खरीदा बेचा नहीं गया। उसका मूल्य यही था कि जो आतंक और अपहरण की कला में निपुण हो वह अपनी क्रूरता का परिचय दे और उसका स्वामी बने। मूल्य देकर खरीदने और पैसा लेकर बेचने की बात तो जब कभी ही देखने को मिली है। आतंक, क्रूरता, हत्या, कुचक्र, अपहरण, लालच जैसी दुरभिसन्धियाँ उसके साथ जुड़ती चली आई। फलतः अब उसकी प्रकृति ही ऐसी बन गई कि जहाँ रहे दुष्परिणाम और आतंक का वातावरण उत्पन्न करे।
विज्ञात इतिहास यहाँ से चलता है कि एक बंगाली ताँत्रिक ने किसी मालदार को आतंकित करके उसे सुरक्षा का आश्वासन दिया था और बदले में यह हीरा उससे हड़प लिया था। ले तो लिया पर करें क्या? न किसी को देते बना न बेचते। उसे छिपाया कहाँ जाय? तरकीब यह सोची गई कि उसे देवी की मूर्ति में आँखों की जगह जड़ दिया जाय। किया तो यही गया, पर भेद छिपा न रहा, किसी चोर ने वह उखाड़ लिया और एक फ्राँसीसी यात्री टेवर्नियर के हाथों बेच दिया। वह अपने देश पहुँचा ही था कि घर का वातावरण बुरी तरह छिन्न−भिन्न हो गया। उसका बेटा ही बागी हो गया और बाप को धता−बता सारी कमाई पर कब्जा कर बैठा। टेवर्नियर को पागल कुत्ते ने काट खाया। अस्पताल में वह उसके पास पाया गया और उस समय के सम्राट लुई पन्द्रहवें के पास जा पहुँचा। लुई ने अपनी महारानी को उसे पहनाया। पहनते ही उसके बुरे दिन आ गये उसकी हैसियत गिरी और मामूली बाँदी नौकरानी की तरह राजमहल में जिन्दगी के दिन पूरे करके मौत के मुँह में चली गई। बाद में वह उत्तराधिकार लुई सोलवें के कब्जे में आया। उसने भी से अपनी रानी मेरीआन्टोइने को पहनाया। उस बेचारी की भी मुसीबत आई। राजा-रानी में अनबन हुई सो उसका सिर सरेआम धड़ से अलग करा दिया गया। कसूर इतना भर था कि उसकी बाँदी ने उस हीरे को थोड़ी देर के लिए पहन भर लिया था। पीछे वह चोरी से एक अफसर निकोलस के पास जा पहुँचा। पकड़ा गया और फाँसी पर चढ़ाया गया। हीरा फिर राजमहल वापिस आ गया। उसे राजा−रानी और राजकुमारी पहना करते थे। फ्राँस की राज्यक्रान्ति हुई और राजा लुई रानी एन्टवायने और राजकुमारी दलमेहल तीनों ही मौत के घाट उतार दिये गए। राज महल की लूट−पाट का कोई उस्ताद उसे उड़ा ले गया और हालैंड के हीरा व्यापारी फाल्स ने उसे खरीद लिया। हीरा भारी था। इतने बड़े का मूल्य मिलना कठिन था। इसलिए उसके टुकड़े काटे ताकि खण्डों में उसे बेचा जा सके। तराशने का काम पूरा होते होते उसका लड़का ही उन टुकड़ों को ले उड़ा। साथ ही उस जौहरी पर गर्दिश आई और उसका दिवाला पिट गया। लड़का आत्महत्या करके मरा। दफन करने वालों ने उसे अन्य जौहरी मेलहम को बेचकर अच्छी रकम कमाई। पर वह खरीदार भी चैन से न बैठ सका। डाकू उस पर चढ़ दौड़े और उसे मारकर हीरा छीन ले गये।
इसके बाद वह घूमता घामता किसी साइमन राइडस नामक व्यक्ति के पास पहुँचा। वह अपने परिवार सहित पहाड़ की चोटी पर सैर करने गया था। पैर फिसला तो पत्नी और बच्ची समेत गहरे खड्डे में जा गिरा और वहीं तीनों की मौत हो गई। कोई पहुँच वहाँ भी गया और इन लाशों की तलाशी में मिले माल को बेचकर खुश हुआ। सबसे पहले उसकी बिक्री इंग्लैण्ड में हुई टामस होप नामक धनी ने इसे 18 हजार पोण्ड में खरीदा। होप ने उसकी हिस्ट्री सुनी तो काँप गया। उसने अमेरिका के जौहरी को बेचा। खरीद किये बहुत दिन नहीं बीते थे कि उसका भी दिवाला निकल गया। यहाँ से उसकी यात्रा रूस के लिए हुई। रूसी राज कुमार कानोतोवस्की ने उसे खरीदा एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि उसने किसी घरेलू समस्या का क्षुब्ध होकर आत्म-हत्या कर ली। हीरा उसके नौकर ने चुरा लिया और उसे यूनान में बेचा। जिसने खरीदा था वह मुसीबत में आ गया। इसके बाद वह टर्की के सुलतान हमीद के हाथों बिका। हमीद के हाथ में गद्दी ही नहीं गई उसकी बुरी दुर्गति हुई। हमीद और उसकी बेगम में अनबन हुई और बेगम का उसने सिर काट डाला और खुद पागल हो गया। इस उथल−पुथल में वह टर्की ने एक दरबारी हवीब के हाथ लग गया। वह समुद्र में डूब मरा। घर वालों ने उसे अमेरिकी व्यापारी मेकमिलन के हाथों 75 हजार पौण्ड में बेच दिया। मेकमिलन का आठ वर्षीय बालक मोटर से कुचल कर मर गया। औरत तलाक देकर चली गई और खुद का अच्छा−खासा व्यापार चौपट हो गया। अनिद्रा उस पर सवार हो गई और एक दिन अधिक मात्रा में नींद की गोलियाँ खा लेने से चिर निद्रा में सो गया। मरने से पूर्व में इस हीरे को हीरे संग्रहालय के स्मिथ संस्थान को दे गये थे। जहाँ वह इन दिनों विराजमान है। भविष्य में उसका क्या होगा यह तो समय ही बता सकता है।
अनीति और दुष्टता से दूर रहना ही उचित है। इस स्तर के वातावरण और व्यक्तियों से भी बचना ही श्रेष्ठ है। इसी प्रकार वे वस्तुएं भी अग्राह्य समझी जानी चाहिए जिनके पीछे अनीति भरे इतिहास− वातावरण या व्यक्तियों का सम्पर्क जुड़ा रहा हो।