Magazine - Year 1996 - Version 2
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Language: HINDI
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अब पुनर्गठन की वेला में दायित्व वरण की दिशा में यह कर दिखाएँ
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किसी भी संगठन का स्थायित्व उसकी जड़ों की मजबूती पर टिका है। प्रस्तुत एक वर्ष जिसे पुनर्गठन वर्ष नाम दिया गया है, कुछ विशिष्ट तैयारियों का वर्ष है, जिसमें गायत्री परिवार को अपने आप को सभी मोर्चों पर तैयार कर लेना है। जब भी कोई महत्वपूर्ण कार्य सामने होता है चाहे वह लड़ाई का मैदान हो अथवा प्रतियोगिता के द्वारा किसी महत्वपूर्ण पद का चयन, विशेष तैयारी करनी होती है। इन दिनों यही तैयारी चल रही है एवं विशिष्टों की, प्रमाणिक संगठनकर्त्ताओं की खोज चल रही है ताकि आगे आने वाले दिनों में उनके कंधों पर महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे जा सकें। अभी इस वर्ष का प्रयास कुछ इसी स्तर का माना जाना चाहिए।
पुनर्गठन सम्मेलन
रचनात्मक कार्यों में मिशन का नियोजन कैसे हो, छह क्रान्तियों को जिनकी घोषणा प्रथम पूर्णाहुति समारोह में की गयी, कैसे क्रियान्वित हों, यही उद्देश्य ध्यान में रखते हुए पुनर्गठन शृंखला के अंतर्गत पूरे देश में संगठन के सम्मेलन जिलों की शृंखला बनाकर आयोजित किए गए हैं। चार टोलियाँ चार दिशाओं में 26 मार्च के आस-पास रवाना हो जायेंगी। डेढ़ से दो दिन के सम्मेलन दो या तीन जिलों या कहीं परिस्थिति विशेषानुसार अधिक जिलों के कार्यकर्त्ताओं को एकत्र कर शांतिकुंज के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में संपन्न होंगे। ये कार्यक्रम चूँकि ढाई-तीन सौ कार्यकर्त्ताओं के ही होंगे-आयोजकों को हॉल में ही प्रबन्ध कर लेने को कहा जा रहा है। यह व्यवस्था परिजन मिलजुल कर संभाल सकते हैं। सभी सहयोगी सदस्यों, समयदानियों-ट्रस्टियों, संरक्षकों, महत्वपूर्ण बुद्धिजीवी समुदाय के व्यक्तियों के नाम, पते व जिला स्तर पर क्रियाकलापों की अन्याय सरकारी, गैर सरकारी योजनाओं की जानकारी सभी परिजन लेकर आएँ ताकि सम्मेलन में कुछ निष्कर्ष निकाले जा सकें। यहाँ से आयोजकों एवं सम्मिलित होने वाले सभी परिजनों को जो कार्यकर्त्ता स्तर के हैं, पत्र डाले जा रहे हैं। ये सम्मेलन मई अंत व जून अंत तक परिस्थिति विशेषानुसार सम्पन्न होते रहेंगे। इस अविधि में विराट स्तर के आयोजन इन क्षेत्रों में नहीं होंगे जहाँ पुनर्गठन सम्मेलन प्रस्तावित हैं। उन्हें मात्र पाँच महानगरों, दक्षिण व उत्तर पूर्व भारत के लिए छोड़ दिया गया है, जहाँ अभी मिशन का प्रकाश नहीं पहुँचा है। इन सम्मेलनों के बारे में सभी 1 मार्च का प्रज्ञान अभियान “पाक्षिक” पढ़ लें।
संगठन कर्त्ताओं का चयन-
पुनर्गठन का एक महत्वपूर्ण पक्ष है संगठक स्तर के लोकनायकों का चयन। यह यजन केन्द्र क्षेत्र से मिली रिपोर्ट के अनुसार करेगा। “योग्यता के अनुरूप दायित्व-आवश्यकता के अनुरूप उपयोग इस सिद्धान्त के आधार पर अब प्रामाणिक संगठन व्यवस्था कायम करने के लिए योग्य निष्ठावान परिजनों को जो समय भी दे सकें आगे लाने की आवश्यकता है। भारत सरकार की जलागम विकास परियोजना, पल्स पोलियो अभियान के बाद अब स्वास्थ्य संरक्षक योजना एवं देश के प्राइमरी में पढ़ रहे ग्यारह करोड़ बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण व शिक्षण हेतु गायत्री परिवार को अपनी छह क्रान्तियों के पर्यावरण संरक्षण एवं चलग्राम्य चिकित्सा सेवा के अंतर्गत जुटना है। यह एक महती दायित्व भरा कार्य है। इसके लिए चयन हेतु एक सुझाव यह है कि सभी पाठक-परिजन जो रचनात्मक अभियान में रुचि रखते हों, अपने-अपने नगर एवं जनपद के पाँच-पांच ऐसे परिजनों के नाम केंद्र को भेजें जिनमें निम्नलिखित गुण उनकी राय में सबसे अधिक विद्यमान हों।
1-साधना का उच्चस्तर जो नम्रता, ईमानदारी, परिश्रमशीलता, जिज्ञासा एवं शारीरिक मानसिक स्फूर्ति के रूप में दिखाई देता हो।
2-सबका परामर्श लेकर कार्य करने की वृत्ति
3-संगठनात्मक-रचनात्मक कार्यों के लिए नियमित समयदान देने की क्षमता
4-सबकी सहायता बिना किसी भेद-भाव के करने की मनोवृत्ति ता
5-नेतृत्त्व कर सकने की क्षमता।
प्रत्येक नगर-ब्लाक-ताल्लुका से इस प्रकार प्राप्त होने वाली सूचियों में से जिन परिजनों का नाम सबसे अधिक सूचियों में पाया जायेगा, वे सर्वमान्य संगठनकर्त्ता के रूप में इंगित किए जा सकेंगे। यह प्रक्रिया प्रजाताँत्रिक प्रणाली के अनुरूप भी हैं, पक्षपात रहता भी तथा इसमें प्रत्येक जनपद-नगर के प्रत्येक परिजन की राय भी सम्मिलित है। ये नाम व पते सम्भव हो तो 31 मार्च 96 तक शांतिकुंज हरिद्वार आ जायें। निम्नलिखित प्रारूप के अनुसार अपनी राय यथा शीघ्र भेजें ताकि संगठन का ढाँचा खड़ा किया जा सके। साथ में यदि मिशनरी व शैक्षणिक योग्यता का भी उल्लेख कर सकें तो ठीक रहेगा। हमारे नगर/ब्लॉक/ताल्लुका-हमारे जनपद (किसी एक पर निशान लगायें) के निम्नलिखित पाँच व्यक्ति उपरोक्त गुणों व संगठन क्षमता के अनुसार निम्न प्रकार से हैं।
(1)
(2)
(3)
(4)
(5)
इसे भरकर नीचे प्रेषक परिजन का नाम पता गाँव/ब्लॉक/ताल्लुका नगर जनपद लिखकर भेज दें। उसी आधार पर केन्द्र को चयन करने में सुविधा रहेगी। पुनर्गठन वर्ष को हम आप सबके सहयोग से सफल बनाना चाहते हैं। आशा है सभी मदद करेंगे।
*समाप्त*