Magazine - Year 2001 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
क्षण में शाश्वत की पहचान
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
क्षण में शाश्वत छुपा है और अणु में विराट्। अणु को जो अणु मानकर छोड़ दे, वह विराट् को ही खो देता हैं इसी तरह जिसने क्षण का तिरस्कार किया, वह शाश्वत से अपना नाता तुड़ा लेता है। क्षुद्र को तुच्छ समझने की भूल नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यही द्वार है परम का। इसी में गहरे -गहन अवगाहन करने से परम की उपलब्धि होती है।
जीवन का प्रत्येक क्षण महत्वपूर्ण है। किसी भी क्षण का मूल्य, किसी दूसरे क्षण से न तो ज्यादा है और न ही कम है। आनंद को पाने के लिए किसी विशेष समय की प्रतीक्षा करना व्यर्थ है। जो जानते है, वे प्रत्येक क्षण को ही आनंद बना लेते है और जो विशेष समय की, किसी खास अवसर की प्रतीक्षा करते रहते हैं, वे समूचे जीवन के समय और अवसर को ही गँवा देते हैं।
जीवन की कृतार्थता इकट्ठी और राशिभूत नहीं मिलती। उसे तो बिंदु-बिंदु और क्षण क्षण में ही पाना होता है। प्रत्येक बिन्दु सच्चिदानंद साँगर की ही अमृत अंश है और प्रत्येक क्षण अपरिमेय शाश्वत का सनातन अंश। इन्हें जो गहराइयों से अपना सका, वही अमरत्व का स्वाद चख पाता है।
एक फकीर के महानिर्वाण पर जब उनके शिष्यों से पूछा गया कि आपके सद्गुरु अपने जीवन में सबसे श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण बात कौन सी मानते थे? इसके उत्तर में उन्होंने कहा था, “ वही जिसमें किसी भी क्षण वे संलग्न होते थे।”
बूँद-बूँद से सागर बनता है और क्षण-क्षण से जीवन। बूँद को जो पहचान ले, वह सागर को जान लेता है और क्षण को जो पा ले, वह जीवन को पा लेता है। क्षण में शाश्वत की पहचान ही जीवन का आध्यात्मिक रहस्य है।