Magazine - Year 2003 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
खड्ड में गिरा और मर गया (kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
बंगाल के न्यायधीश नीलम बंद्योपाध्याय ने एक बीमा एजेंट के फुसलाने पर पाँच हजार का बीमा करा लिया। मधुमेह की बीमारी होते हुए भी स्वास्थ्य विवरण में उस बात को छिपा दिया गया।
लम्बी बीमारी के बाद जब बंद्योपाध्याय महोदय का अंतकाल निकट आया तो उन्होंने बीमा एजेंट को बुलाकर उस बेईमानी का इकरारनामा लिखा और बीमे को रद्द करा दिया। बोले, जीवनभर बुराइयों से बचता रहा तो मरते समय यह पाप सिर पर लादकर क्यों मरूं?
बापू के पैरों में बिवाई फट गई थी। ‘बा’ गरम पानी से उसको धो रही थीं। पानी बेकार न जाने पाए, इसलिए बापू की हिदायत के अनुसार वे उसे इधर-उधर नहीं, पौधों में ही डालती थीं।
उस दिन पानी ‘बा’ ने गुलाब के पौधों में डाला। बापू बहुत देर तक गुलाबों को नाराजी की दृष्टि से देखते रहे। ‘बा’ ने कारण पूछा, तो बापू ने कहा, “सुन्दर होते हुए भी यह फूल मुझे काँटों जैसे बुरे लगते है। इनके स्थान पर यदि शाक उगाए होते तो उनसे हममें से किसी का पेट तो पलता। श्रम का कुछ सार्थक परिणाम तो हाथ लगता।
एक हाथी बड़ा स्वार्थी और अहंकारी था। दल के साथ रहने की अपेक्षा वह अकेला रहने लगा। अकेले में दुष्टता उपजती है, वे सब उसमें भी आ गई।
एक बटेर ने छोटी झाड़ी में अंडे दिए। हाथियों का झुँड आते देखकर बटेर ने उसे नमन किया और दलपति से उसके अंडे बचा देने की प्रार्थना की। हाथी भला था। उसने चारों पैरों के बीच झाड़ी छुपा ली और झुँड को आगे बढ़ा दिया। अंडे तो बच गए, पर उसने बटेर को चेतावनी दी कि एक इक्कड़ हाथी पीछे आता होगा, जो अकेला रहता है और दुष्ट है। उससे अंडे बचाना तुम्हारा काम है। थोड़ी देर में वह आ ही पहुँचा। उसने बटेर की प्रार्थना अनसुनी करके जान-बूझकर अंडे कुचल डाले।
बटेर ने सोचा कि दुष्ट को मजा न चखाया तो वह अन्य-अनेकों का अनर्थ करेगा। उसने अपने पड़ोसी कौवे तथा मेढ़क से प्रार्थना की। आप लोग सहायता करें तो हाथी को नीचा दिखाया जा सकता है। योजना बन गई। कौवे ने उड़-उड़कर हाथी की आँखें फोड़ दी। वह प्यासा भी था। मेढ़क पहाड़ी की चोटी पर टर्राया। हाथी ने वहाँ पानी होने का अनुमान लगाया और चढ़ गया। अब मेढ़क नीचे आ गया और वहाँ टर्राया। हाथी ने नीचे पानी होने का अनुमान लगाया और नीचे को उतर चला। पैर फिसल जाने से वह खड्ड में गिरा और मर गया। स्वार्थ-परायणों को इसी प्रकार नीचा देखना पड़ता है।