Books - प्राणघातक व्यसन
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Language: HINDI
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अभक्ष्य पदार्थों का सेवन
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मांस विष तो नहीं है, किंतु इससे भी अनेक दोष उत्पन्न होते हैं, जो शरीर और स्वास्थ्य के लिए घातक हैं । अधिक मांस खाने वालों को बदहजमी, पेट का भारीपन, कब्ज इत्यादि की शिकायतें उत्पन्न हो जाती हैं । वैसे भी मांस उत्तेजक पदार्थ है और जब उसकी आदत पड़ जाती है तो उसके बिना शरीर में भारीपन और आलस्य रहता है तथा किसी काम में मन नहीं लगता । अनेक बार रोगी पशुओं का मांस खाने में आ जाता है, जिससे मनुष्य को भी वे रोग पैदा हो जाते हैं ।
कितने ही व्यक्ति मांस भक्षण को मोटे-ताजे और स्वस्थ रहने का उपाय बताकर विवाद करते हैं । ऐसे माँसाहारी उन त्रुटियों को नहीं जानते जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है । संसार में बड़े-बड़े बलशालियों का भोजन दूध, शाक, अनाज, तरकारियाँ, मेवे इत्यादि रहे हैं ।
उदाहरण के निमित्त संसारप्रसिद्ध- विचारक, नाटककार, जार्ज बर्नाड शॉ को ही देखिए । शॉ के डॉक्टरों ने कहा था कि मांस बिना तुम मर जाओगे । उन्होंने निर्भीकतापूर्वक उत्तर दिया- ''अच्छा! हमें केवल प्रयोग करके ही देखना चाहिए । यदि मैं जीवित रहा तो आशा करता हूँ कि आप भी निरामिषभोजी हो जाएँगे । ''शॉ दीर्घकाल तक शाक-तरकारियाँ और फलों पर जीवित रहे । मुनि तथा योगीजन सदा मांस से दूर रहे और दीर्घकाल तक स्वास्थ्य का आनंद लेते रहे । फिर हम मांस क्यों खाएँ ?
कितने ही व्यक्ति मांस भक्षण को मोटे-ताजे और स्वस्थ रहने का उपाय बताकर विवाद करते हैं । ऐसे माँसाहारी उन त्रुटियों को नहीं जानते जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है । संसार में बड़े-बड़े बलशालियों का भोजन दूध, शाक, अनाज, तरकारियाँ, मेवे इत्यादि रहे हैं ।
उदाहरण के निमित्त संसारप्रसिद्ध- विचारक, नाटककार, जार्ज बर्नाड शॉ को ही देखिए । शॉ के डॉक्टरों ने कहा था कि मांस बिना तुम मर जाओगे । उन्होंने निर्भीकतापूर्वक उत्तर दिया- ''अच्छा! हमें केवल प्रयोग करके ही देखना चाहिए । यदि मैं जीवित रहा तो आशा करता हूँ कि आप भी निरामिषभोजी हो जाएँगे । ''शॉ दीर्घकाल तक शाक-तरकारियाँ और फलों पर जीवित रहे । मुनि तथा योगीजन सदा मांस से दूर रहे और दीर्घकाल तक स्वास्थ्य का आनंद लेते रहे । फिर हम मांस क्यों खाएँ ?