Books - युग संस्कार पद्धति
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Language: HINDI
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अन्नप्राशन संस्कार
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(1) पात्र पूजन — माता-पिता हाथ में रोली या चंदन लेकर सूत्र दुहरायें—
सूत्र —
ॐ सुपात्रतां प्रदास्यामि ।
(शिशु में सुपात्रता का विकास करेंगे।)
अब मंत्रोच्चारण करते हुए अन्नप्राशन के लिए रखी खीर के पात्र पर स्वस्तिक अंकित करें—
मंत्र —
ॐ स्वस्ति न ऽ इन्द्रो वृद्धश्रवाः, स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्तिनस्ताक्र्ष्यो ऽअरिष्टनेमिः, स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु ।।
(2) अन्न संस्कार — प्रतिनिधि खीर के पात्र को हाथ में लें और सूत्र सबसे दुहरावायें।
सूत्र —
ॐ कुसंस्काराः दूरीभूयासुः । (अन्न के पूर्व कुसंस्कारों का निवारण करते हैं।)
इसके बाद खीर पर कलश के जल के छींटे लगाते हुए निम्नांकित मंत्र बोलें—
मंत्र—
ॐ मंगलं भगवान् विष्णुः, मंगलं गरुडध्वजः । मंगलं पुण्डरीकाक्षो, मंगलायतनो हरिः ।।
प्रतिनिधि पुनः खीर में तुलसीदल डालते हुए निम्नांकित सूत्र वाक्य बोलें—
सूत्र —
ॐ सुसंस्काराः स्थिरी भूयासुः । (इसमें सात्त्विक सुसंस्कारों की स्थापना करते हैं।)
यहां यज्ञ या दीपयज्ञ की प्रक्रिया जोड़ें।
(3) अन्नप्राशन — प्रतिनिधि गायत्री मंत्र बोले हुए बच्चे को चम्मच से खीर चटायें। सभी लोग समवेत स्वर में गायत्री मंत्र बोलें।
(4) संकल्प एवं पूर्णाहुति — घर के प्रमुख जन हाथ में अक्षत, पुष्प, जल लेकर संकल्प सूत्र दुहराकर पूर्णाहुति का क्रम सम्पन्न करें
संकल्प— अद्य...... गोत्रोत्पन्नः ........ नामाहं अन्नप्राशन संस्कार सिद्ध्यर्थं देवानां तुष्ट्यर्थं देवदक्षिणा-अन्तर्गते सुपात्रतां प्रदास्यामि, कुसंस्कारान् दूरी करिष्यामि, सुसंस्कारान् स्थिरीकरिष्यामि इत्येषां व्रतानां धारणार्थं संकल्पं अहं करिष्ये ।