Books - युग संस्कार पद्धति
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Language: HINDI
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जन्मदिवसोत्सव
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(1) पंचतत्व पूजन— हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर सूत्र दुहरायें—
सूत्र—
ॐ श्रेयसां पथे चरिष्यामि । (जीवन को कल्याणकारी मार्ग पर चलायेंगे।)
इसके बाद निम्नांकित भाव-भूमिका बनाकर मंत्रोच्चारण के साथ अक्षत-पुष्प पंचतत्वों के प्रतीक पांच चावल की ढेरियों पर चढ़ा दें।
भावसूत्र—
(क) पृथ्वी माता हमें उर्वरता और सहनशीलता दें।
(ख) वरुण देवता हमें शीतलता और सरसता दें।
(ग) वायु देवता हमें गतिशीलता और जीवनी शक्ति प्रदान करें।
(घ) अग्नि देवता हमें तेजस् और वर्चस् प्रदान करें।
(ङ) आकाश देवता हमें उदात्त और महान् बनायें।
मंत्र—
ॐ मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य, बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं, यज्ञ ॐ समिमं दधातु ! विश्वेदेवासऽइह मादयन्तामो३म्प्रतिष्ठ ।
(2) दीप पूजन— हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर सूत्र दुहरायें—
सूत्र—
ॐ परमार्थमेव स्वार्थं मनिष्ये । (परमार्थ को ही स्वार्थ मानेंगे।)
इसके बाद निम्नांकित सूत्र के अनुसार भाव-भूमिका बनाते हुए गायत्री मंत्र बोले हुए दीप प्रज्वलित करें—
भावसूत्र—
(क) दीपक की तरह हमें अखण्ड पात्रता प्राप्त हो। (ख) हमें अक्षय स्नेह की प्राप्ति हो। (ग) हमारी निष्ठा ऊर्ध्वमुखी हो।
(3) ज्योतिवन्दन— हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर भाव-भूमिका बनायें—
(क) अग्नि ही ज्योति है, ज्योति ही अग्नि है।
(ख) सूर्य ही ज्योति है, ज्योति ही सूर्य है।
(ग) अग्नि ही वर्चस् है, ज्योति ही वर्चस् है।
(घ) सूर्य ही वर्चस् है, सूर्य ही ज्योति है।
(ङ) ज्योति ही सूर्य है, सूर्य ही ज्योति है।
इसके बाद मंत्र बोलकर हाथ के अक्षत-पुष्प दीपक की थाली में चढ़ा दें।
मंत्र—
ॐ अग्निर्ज्योतिर्ज्योतिरग्निः स्वाहा। सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा अग्निर्वर्चो ज्योतिर्वर्चः स्वाहा । सूर्योवर्चो ज्योतिर्वर्चः स्वाहा । ज्योतिः सूर्यः सूर्या ज्योतिः स्वाहा ।
(4) व्रतधारण— हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर सूत्र दुहरायें—
सूत्र—
ॐ महत्त्वाकांक्षां सीमितं विधास्यामि ।
(हम महत्त्वाकांक्षाओं को संयमित रखेंगे।)
इसके बाद जन्मदिन के शुभ अवसर पर एक बुराई छोड़ने व एक अच्छाई ग्रहण करने के क्रम में संकल्प उद्घोष करते हुए उसकी सफलता हेतु देव शक्तियों को नमन करते चलें—
(क) ॐ अग्ने व्रतपते व्रतं चरिष्यामि । ॐ अग्नये नमः ।
(ख) ॐ वायो व्रतपते व्रतं चरिष्यामि । ॐ वायवे नमः ।
(ग) ॐ सूर्य व्रतपते व्रतं चरिष्यामि । ॐ सूर्याय नमः ।
(घ) ॐ चन्द्र व्रतपते व्रतं चरिष्यामि । ॐ चन्द्राय नमः ।
(ङ) व्रतानां व्रतपते व्रतं चरिष्यामि ! ॐ इन्द्राय नमः ।
यहां यज्ञ-दीपयज्ञ की प्रक्रिया जोड़ें।
(5) संकल्प मंत्र—
अद्य ................. गोत्रोत्पन्नः ............ नामाहं जन्मदिवसोत्सवसंस्कार सिद्ध्यर्थं देवानां तुष्ट्यर्थं देव दक्षिणान्तर्गतेश्रेयसां पथे चरिष्यामि, परमार्थमेव स्वार्थं मनिष्ये, महत्त्वाकांक्षां सीमितं विधास्यामि-इत्येषां व्रतानां धारणार्थं संकल्पं अहं करिष्ये ।
(6) आशीर्वचन— सभी उपस्थित जन अक्षत, पुष्प की वर्षा करके संकल्पकर्त्ता को आशीर्वाद प्रदान करें। प्रतिनिधि मंत्र बोलें—
ॐ मंगलं भगवान् विष्णुः, मंगलं गरुडध्वजः । मंगलं पुण्डरीकाक्षो, मंगलायतनो हरिः ।।