Books - आध्यात्मिक उत्कर्ष के सोपान — योग और तप
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Language: HINDI
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आस्तिकता और नास्तिकता—अर्थ समझें
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कम कीमत का क्या मतलब है? कम कीमत माने भजन। भजन किसे कहते हैं? बेहद कम कीमत की चीज को, जिसमें न आपको पसीना बहाना पड़ता है, न हथौड़ा चलाना पड़ता है, न हल चलाना पड़ता है, न धूप में खड़े होना पड़ता है और न श्रम करना पड़ता है। बस पालथी मारकर बैठ जाते हैं और हथौड़ा भी नहीं चलाते।हथौड़ा तो चलाया कीजिए? नहीं साहब! हम तो माला चलाते हैं। माला में कितनी मशक्कत करनी पड़ती है? माला चलाने में तो कुछ भी मेहनत नहीं करनी पड़ती। अँगुलियों से लकड़ी का एक-एक टुकड़ा घुमाते रहते हैं। बस, इतनी कम कीमत में आप क्या-क्या माँगते हैं? मनोकामनाओं की पोथी माँगते हैं, रुपया माँगते हैं, बेटी-बेटेमाँगते हैं, नौकरी में तरक्की माँगते हैं, स्वर्ग माँगते हैं, शांति माँगते हैं। देवी-देवताओं को अपना नौकर बनाना चाहते हैं, गुलाम बनाना चाहते हैं। और जाने क्या-क्या चाहते हैं? बेटे! कीमत चुकाकर के दुनिया में हर चीज पाई गयी है। और आप बिना कीमत के इतनी लम्बी-चौड़ी चीजें चाहते हैं। इसलिए हम आपको नास्तिक कहते हैं।कम्युनिस्ट नास्तिक नहीं हो सकते, क्योंकि वे समझते हैं कि मशक्कत करेंगे, तो कुछ पायेंगे, मशक्कत नहीं करेंगे, तो नहीं पायेंगे। और आप बिना मशक्कत के पाना चाहते हैं। इसलिए आप नास्तिक हैं, वे नास्तिक नहीं हैं।
मित्रो! आपको आस्तिकता की गहराई में जाना पड़ेगा, अगर आप उससे कुछ फायदा उठाना चाहते हों, तब। अगर आपको खेती में फायदा उठाने का जी है, और बगीचे में आपको फायदा उठाने का जी है, तो आपको खेती करने की कला और खेती करने की जिम्मेदारी समझनी चाहिए। धूप में खड़ा होने के लिए तैयार होना चाहिए।पानी में खड़ा होने के लिए तैयार होना चाहिए। जमीन में लिपटने के लिए तैयार होना चाहिए और सिर पर खाद ढोकर ले जाने के लिए तैयार होना चाहिए। समय पर अपने पेड़-पौधों में पानी लगाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। अगर आप फसल चाहते हैं तब रात को जंगली जानवरों से फसल की रखवाली करने के लिए जागने कोतैयार हो जाना चाहिए। नहीं साहब! हम फसल तो चाहते हैं, पर मेहनत करना नहीं चाहते। तो बेटे, फसल नहीं मिल सकती।