Books - गायत्री महात्म्य
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Language: HINDI
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गायत्री उपेक्षा की भर्त्सना
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गायत्री को जानने वाले अथवा जानने पर भी उसकी उपासना न करने वाले द्विजों की शास्त्रकारों ने कड़ी भर्त्सना की है और उन्हें अधोगामी बताया है। इस निन्दा में इस बात की चेतावनी दी है कि जो आलस्य या अश्रद्धा के कारण गायत्री साधना में ढील करते हों, उन्हें सावधान होकर इस श्रेष्ठ उपासना में प्रवृत्त होना चाहिए।
गायत्र्युपासना नित्या सर्ववेदैः समीरिता ।
यस्या विनात्वधः पातो ब्राह्मणस्यास्ति सर्वथा ।।
—देवी भागवत स्कं 12। अ. 8।9
गायत्री की उपासना नित्य ही समस्त वेदों में वर्णित है। जिस गायत्री के बिना सर्व प्रकार से ब्राह्मण की अधोगति होती है।
गायत्रीं यः परित्यज्य चान्यमन्त्रमुपासते ।
न साफल्यमवाप्नोति कल्पकोटिः शतैरपि ।।
—वृ. सन्ध्या भाष्ये
जो गायत्री मन्त्र को छोड़कर अन्य मन्त्र की उपासना करता है, वह करोड़ों जन्मों में भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है।
गायत्री रहितो विप्र शूद्रादपि शुचिर्भवेत् ।
गायत्रो ब्रह्म तत्वज्ञः सम्पूज्यस्तु द्विजोत्तमः ।।
गायत्री से रहित ब्राह्मण शूद्र से भी अपवित्र है। गायत्री रूपी ब्रह्म तत्व को जानने वाला सर्वत्र पूज्य है।
उपलभ्य च सावित्रीं नोपतिष्ठेत योद्विजः ।
काले त्रिकालं सप्ताहात् स पतन्नात्र संशयः ।।
गायत्री-मन्त्र को जानकर जो द्विज इसका आचरण नहीं करता अर्थात् इसे त्रिकाल में नहीं जपता उसका निश्चय पतन हो सकता है।