Books - गीत माला भाग १०
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पुकार प्राण- प्राण को
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पुकार प्राण- प्राण को
पुकार प्राण- प्राण को, सुनो गुहार ध्यान दो।
जली मशाल ज्ञान की, उठो जवान थाम लो॥
दिशा- दिशा पुकारती, उषा निशा पुकारती।
अनादि मंत्र गा रहे, जगे प्रबुद्ध भारती॥
समस्त शक्ति दान लो, बनो महान थाम लो॥
साँस- साँस पर समर, चुनौतियाँ भरी डगर।
प्रयाण शंख फूँकता, तिमिर चला सँवर- सँवर॥
अमित शक्ति पुञ्ज हो, प्रकाश प्राण थाम लो॥
सजल नयन पुकारते, खिले सुमन पुकारते।
करें पुनीत अर्चना, चले चरण पुकारते॥
कि कण्ठ- कण्ठ गा रहा, हुआ विहान थाम लो॥
झुके न शीश ज्ञान का, रुके न पाँव ध्यान का।
महान ज्योति पर्व पर, नहान प्राण- प्राण का॥
उबार पाप- ताप से, दुःखी जहान थाम लो॥
दिगन्त लाल- लाल है, उदार भारती जगी।
अनन्त ज्योति वर्तिका, उभार आरती जगी॥
मुहूर्त जो मिला महान, पुण्यवान थाम लो॥
पुकार प्राण- प्राण को, सुनो गुहार ध्यान दो।
जली मशाल ज्ञान की, उठो जवान थाम लो॥
दिशा- दिशा पुकारती, उषा निशा पुकारती।
अनादि मंत्र गा रहे, जगे प्रबुद्ध भारती॥
समस्त शक्ति दान लो, बनो महान थाम लो॥
साँस- साँस पर समर, चुनौतियाँ भरी डगर।
प्रयाण शंख फूँकता, तिमिर चला सँवर- सँवर॥
अमित शक्ति पुञ्ज हो, प्रकाश प्राण थाम लो॥
सजल नयन पुकारते, खिले सुमन पुकारते।
करें पुनीत अर्चना, चले चरण पुकारते॥
कि कण्ठ- कण्ठ गा रहा, हुआ विहान थाम लो॥
झुके न शीश ज्ञान का, रुके न पाँव ध्यान का।
महान ज्योति पर्व पर, नहान प्राण- प्राण का॥
उबार पाप- ताप से, दुःखी जहान थाम लो॥
दिगन्त लाल- लाल है, उदार भारती जगी।
अनन्त ज्योति वर्तिका, उभार आरती जगी॥
मुहूर्त जो मिला महान, पुण्यवान थाम लो॥