Books - कर्मकाण्ड नहीं, भावना प्रधान
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Language: HINDI
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गीता और रामायण का शिक्षण
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मित्रो! अब तो आप समझ गए होंगे कि वास्तविकता क्या है? गीता और रामायण जिसका हम यहाँ से प्रचार करते हैं, उसका हम यहाँ पर विद्यालय बनाने वाले हैं। गीता और रामायण को हम नियमित रूप से पढ़ाएँगे और हमारा विश्वास है कि रामचरित और कृष्णचरित के माध्यम से हम व्यक्ति और समाज दोनों की समस्याओं का समाधान करने में समर्थ होंगे। व्यक्ति को कैसा होना चाहिए? व्यक्तिगत जीवन का परिष्कार कैसे होना चाहिए? यह हम रामायण के द्वारा लोगों को सिखा देंगे, यह हमें पूरा विश्वास है। रामायण में वे सारी की सारी चीजें विद्यमान हैं, जो व्यक्ति और परिवार दोनों को ठीक और समन्वित बना सकती हैं। इसलिए हम रामायण का उपयोग करेंगे, गीता, भागवत् तथा कृष्णचरित का उपयोग करेंगे । भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और कृष्ण पूर्ण पुरुष हैं। सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए मनुष्य की नीतियाँ क्या होनी चाहिए? दृष्टिकोण क्या होना चाहिए? समाज के साथ में अपनी डीलिंग करने के लिए लोक-व्यवहार के लिए समाज की कुरीतियों का समाधान करने के लिए जो शिक्षाएँ हमें कृष्णचरित से मिलती हैं, रामचंद्र जी से नहीं मिलतीं। वे एकांगी हैं। पिताजी ने वनवास दे दिया। अरे साहब! पिताजी ने निकाल दिया तो चलो जंगल में। पिताजी गलती करते हैं तो करते हैं, हमको तो गलती नहीं करनी चाहिए। हम तो पिताजी की आज्ञा मानकर जाएँगे। उनका जीवन एकांगी है? किनका? राम का। ठीक है कि प्रजा के हित का ध्यान रखना चाहिए प्रजा का कहना मानना चाहिए लेकिन सीताजी के साथ क्यों अन्याय करना चाहिए? यह एकांगी जीवन है। एकांगी जीवन में राम ने मर्यादाओं का पालन किया।