आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ओड़िशा के बरगढ़ ज़िले में स्थित बिजेपुर नगर में आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दीपमहायज्ञ समारोह में पधारे।
|| बिजेपुर, बरगढ़: ओड़िशा, 04 जनवरी 2025 ||
प्रवास के द्वितीय दिवस के द्वितीय चरण में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रेरणास्रोत, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी भारत के ओड़िशा राज्य के बरगढ़ ज़िले में स्थित बिजेपुर नगर में आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दीपमहायज्ञ समारोह में पधारे।
कार्यक्रम की शुरुआत एक अत्यंत भक्तिमय और दिव्य वातावरण में हुई, जहां डॉ. पंड्या जी के प्रेरक शब्दों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रभावित किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने यज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा,“यज्ञ केवल एक प्राचीन परंपरा नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति की आत्मा है–यह समाज में ऊर्जा, शुद्धता और संतुलन का वाहक है। यज्ञ का हर स्वरूप हमें न केवल आत्मशुद्धि का मार्ग दिखाता है, बल्कि समाज के कल्याण हेतु भी मार्गदर्शन करता है।”डॉ. पंड्या जी ने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे इस दिव्य कार्य में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं और इसे जन-जन तक पहुँचाने में योगदान दें।
समारोह के उपरांत, स्मारिका का विमोचन कर आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने उपस्थित विशिष्ट गायत्री परिजनों और क्षेत्र के सम्माननीय महानुभावों को परम पूज्य गुरुदेव का साहित्य भेंट कर उनका सम्मान किया, और समाजोत्थान के इस युगधर्म में सभी की सहभागिता की प्रेरणा दी। इसके साथ ही उन्होंने महायज्ञ स्थल पर स्थित जगन्नाथ भगवान की प्रतिमूर्ति की आरती कर प्रखर प्रज्ञा–सजल श्रद्धा और शहीद स्मारक पर पुष्प चढ़ाकर नमन वंदन किया।