आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने बरमकेला शक्तिपीठ पहुंचकर किए माँ गायत्री के दर्शन, 51 कुंडीय यज्ञ में प्रेरणादायी उद्बोधन।
| बरमकेला, रायगढ़: छत्तीसगढ़, 05 जनवरी 2025 ||
छत्तीसगढ़ प्रवास के तृतीय दिवस पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने रायगढ़ ज़िले के बरमकेला शक्तिपीठ पहुंचकर माँ गायत्री के दर्शन कर वहां समीपवर्ती क्षेत्र से आए हुए उपस्थित सभी परिजनों से भेंट करते हुए आत्मीय संवाद किया।
इसके पश्चात 51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति समारोह में सहभागिता कर श्रद्धालुओं को संबोधित किया अपने ओजस्वी व प्रेरणादायी उद्बोधन में डॉ. पंड्या जी ने यज्ञ के माध्यम से वातावरण पर होने वाले सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यज्ञ सच्चे अर्थों में सत्कर्म है, यज्ञ से आसपास का वातारण पवित्र, शुद्ध और सकारात्मक होता है। ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि जनसेवा ही यज्ञ है, यह भाव जन–जन के मन–मन में हमें लाना है। यज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, यह आत्मा की पवित्रता और समाज के उत्थान का एक दिव्य मार्ग है। डॉ. पंड्या जी ने उपस्थित साधकों से इस अभियान को संपूर्ण समाज में फैलाने का आह्वान किया, ताकि समाजोत्थान के इस पवित्र यज्ञ का लाभ हर घर तक पहुँच सके।