कोटा में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का प्रवास: दीप महायज्ञ में दिया शिक्षा और आध्यात्मिकता के समन्वय का संदेश
कोटा, राजस्थान 11 जनवरी 2025
राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा, अब आध्यात्मिक उन्नति की धरा के रूप में भी अपना विशेष स्थान बना रही है।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी के तीन दिवसीय प्रवास के प्रथम चरण में आज विजय श्री रंगमंच दशहरा मैदान, कोटा में 108 कुण्डीय विराट गायत्री महायज्ञ के अंतर्गत दीप महायज्ञ के शुभ अवसर पर पहुंचे, जहां गायत्री परिजनों ने उनका भव्य स्वागत किया।
यज्ञ स्थल में उन्होंने साहित्य विस्तार पटल, देव संस्कृति दिग्दर्शन प्रदर्शनी, स्वावलंबन स्टॉल आदि का भ्रमण किया और परिजनों से मुलाकात की।
डॉ. पंड्या जी ने अपने उद्बोधन में विशेष रूप से पूज्य गुरुदेव के शिक्षा और अध्यात्म के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा “भगवान के घर व्यक्ति जाता नहीं, बुलाया जाता है। और आज इस भगवान के घर में, जहां यह दीप महायज्ञ का पुनीत कार्य हो रहा है, आप आए नहीं हैं, बल्कि बुलाए गए हैं।” उन्होंने अपने शब्दों से श्रद्धालुओं के हृदयों को गहराई से छूते हुए यह भी कहा, “जिसका हाथ भगवान थाम लेते हैं, उसे आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। पूज्य गुरुदेव ने जिनका हाथ थामा, वे रुक नहीं सकते, वे निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे।”
आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने आगे पूज्य गुरुदेव के शिक्षा और अध्यात्म के सिद्धांतों पर जोर देते हुए कहा कि कोटा, जो शिक्षा के लिए जाना जाता है, अब आध्यात्मिकता के साथ शिक्षा के समन्वय को अपनाने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। उन्होंने कहा कि “जिस चेतना से हम लोग जुड़े हैं, वह युग परिवर्तन के लिए पुकार रही है,” और इसी चेतना से प्रेरित होकर हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कृतसंकल्प होना चाहिए।
इससे पूर्व आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी गायत्री शक्तिपीठ कोटा पहुंचे और मां गायत्री का पूजन कर उन्होंने नव निर्मित भवन का अवलोकन किया।