देव संस्कृति विश्वविद्यालय में शिक्षक गरिमा शिविर: 180 शिक्षकों ने शिक्षा के व्यापक दृष्टिकोण को आत्मसात करने का लिया संकल्प
देव संस्कृति विश्वविद्यालय में 5 से 7 जनवरी 2025 तक आयोजित शिक्षक गरिमा शिविर में गोरखपुर से आए 180 शिक्षकों ने भाग लिया। इस विशेष शिविर में सरकारी और निजी विद्यालयों के शिक्षक उपस्थित रहे, जिनका उद्देश्य शिक्षा के व्यापक दृष्टिकोण को समझना और अपने शिक्षण में इसे आत्मसात करना था।
आदरणीय प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपने सारगर्भित संबोधन में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के उद्देश्य और शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य शिक्षण को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित रखना नहीं, बल्कि छात्रों के भीतर छिपी दिव्यता और नैतिक शक्तियों को जागृत करना है। शिक्षा केवल जानकारी देने का माध्यम नहीं, बल्कि विद्या वह शक्तिशाली साधन है, जो चरित्र निर्माण और समाजोत्थान की दिशा में कार्य करती है।
डॉ. पंड्या जी ने शिक्षकों को प्रेरित किया कि वे अपने छात्रों को जीवन में उच्च आदर्शों और मानवता की सेवा के प्रति प्रेरित करें। विश्वविद्यालय के “युग निर्माण” के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपने शिक्षण में उन मूल्यों को जोड़ें, जो समाज और राष्ट्र के भविष्य को सुदृढ़ बनाते हैं। शिक्षकों ने इस अवसर पर न केवल शिक्षा के उद्देश्य को पुनः परिभाषित किया, बल्कि इसे अपने शिक्षण पद्धति में शामिल करने का संकल्प भी लिया।