“रामराज्य की ओर एक दिव्य संगम: प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं श्रीराम जन्म कथा में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का प्रेरक उद्बोधन”

प्रभु श्रीराम का जीवन धर्म, सत्य और कर्तव्यपरायणता का अप्रतिम उदाहरण है। उनकी गाथा केवल अतीत का गौरव नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य का आलोक भी है। इसी दिव्य संदेश को आत्मसात कराने हेतु महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी जी द्वारा योग पार्क, जुर्स कंट्री, हरिद्वार में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर श्री राम जन्म कथा का भव्य आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया।
अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में उन्होंने डॉ. पंड्या जी ने कहा कि “वसुधैव कुटुंबकम केवल एक विचार नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए सनातन संस्कृति का ध्येय वाक्य है। यह भारतभूमि का सौभाग्य है कि भगवान श्रीराम ने यहां जन्म लिया और अपने जीवन से धर्म की स्थापना का संदेश दिया।” उन्होंने इस कथा को केवल श्रवण का विषय न मानकर आत्मचिंतन और आत्मपरिवर्तन का अवसर बताया।
डॉ. पंड्या जी ने कहा कि धर्म की स्थापना का अर्थ केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका वास्तविक स्वरूप है— सत्प्रवृत्तियों का संवर्धन और दुष्प्रवृत्तियों का उन्मूलन। श्रीराम के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि जब आस्था, तपस्या और सेवा का समन्वय होता है, तभी रामराज्य की स्थापना संभव होती है।
इस आयोजन में दिव्य प्रेम सेवा मिशन के श्री आशीष जी भी उपस्थित रहे। श्रद्धालुओं ने पूरे भक्तिभाव से इस आयोजन में सहभागिता की और अपने जीवन को श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप पवित्र बनाने का संकल्प लिया।
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