जीवन को धन्य बनाने हेतु विराट दीप महायज्ञ का बायड में आयोजन।

ईश्वर सर्वव्यापी और न्यायकारी है, आवश्यकता है उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतारने की – आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी।
”दीप यज्ञ का पर्व आया है, आओ जीवन को धन्य बना लो” के मनोभाव को लेकर गुजरात के बायड में विराट दीप महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस दीप महायज्ञ में मुख्य अतिथि के रूप में अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी शामिल हुए।
बता दें कि अपने दो दिवसीय गुजरात प्रवास के दौरान आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी 10 अप्रैल की शाम बायड पहुंचे।
बायड में आयोजित विराट 108 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ के अंतर्गत विराट दीप यज्ञ के कार्यक्रम में वे मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
दीप यज्ञ सदैव से व्यक्तियों के मन में आध्यात्मिक उत्साह भरने का माध्यम रहा है। इस उत्साहपूर्ण कार्यक्रम में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी पूज्य गुरुदेव की ज्ञानगंगा से विशिष्ट संदेश लेकर पधारे।
इस अवसर पर आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपनों से अपनी बात करते हुए कहा कि आज हम लोग जिस समय में मिल रहे हैं, वह समय बड़ा विलक्षण है। विलक्षण इसलिए है क्योंकि पूज्य गुरुदेव के तप के सौ वर्ष पूर्णता की ओर हैं, परम वंदनीया माताजी की जयंती के भी सौ वर्ष हो रहे हैं, साथ ही अखंड दीपक के प्राकट्य के भी सौ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम सभी परिजनों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि हम अखंड ज्योति को प्रचंड ज्योति में परिवर्तित करें एवं पूज्य गुरुदेव के युग-निर्माण कार्यों में पुरजोर तरीके से लग जाएं।
आगे उन्होंने कहा कि हम सभी बड़े सौभाग्यशाली हैं कि हमारे गुरुदेव ने गीता के 18 अध्यायों की तरह 18 सत्संकल्पों में पूरी मानवता को मार्गदर्शन प्रदान किया है।
कार्यक्रम के अगले चरण में आयोजक मंडल द्वारा आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। तत्पश्चात 18 सत्संकल्पों का दोहराव किया गया।
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