मातृगया तीर्थ क्षेत्र में श्रद्धा एवं समर्पण के भाव से हजारों गायत्री साधकों ने किया यज्ञ

मातृगया तीर्थ क्षेत्र, सिद्धपुर (गुजरात) में राष्ट्र जागरण हेतु 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस महायज्ञ में अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
गायत्री महायज्ञ के कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में गुजरात सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री बलवंत सिंह जी पधारे।
आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी एवं माननीय कैबिनेट मंत्री श्री बलवंत सिंह जी ने दीप प्रज्वलन कर पूज्य गुरुदेव एवं परम वंदनीया माताजी के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की।
तत्पश्चात, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी को पगड़ी पहनाकर उनका स्वागत एवं सम्मान किया गया।
‘साधक का सविता को अर्पण, शिष्यों का गुरु को समर्पण’— इस पवित्र भाव को लेकर हजारों गायत्री साधकों ने यज्ञ किया।
इस कार्यक्रम में युगद्रष्टा परम पूज्य गुरुदेव के संदेशवाहक, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने उपस्थित सभी परिजनों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के अंदर श्रद्धा तभी आती है जब वह स्वयं को ईश्वरीय अनुशासन में पूर्णरूपेण ढाल लेता है। आगे उन्होंने कहा कि श्रद्धा से व्यक्ति को सद्गुण, सद्विचार एवं उत्कृष्टता प्राप्त होती है। श्रद्धा से आत्मविश्वास और आस्था मिलती है। हम जब यहां से जाएं, तो अपनी श्रद्धा को ईश्वर के प्रति और भी प्रगाढ़ करके जाएं।
तत्पश्चात, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में परम पूज्य गुरुदेव द्वारा दिए गए गीता के 18 अध्यायों की तरह 18 सत्संकल्पों को दोहराया गया।
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