सच्चा अध्यात्म आखिर है क्या?
देवियो, भाइयो! मनुष्य को इस सांसारिक जीवन की सफलता के लिए दो चीजों की आवश्यकता है-पहला है श्रम और दूसरा ज्ञान । श्रम के द्वारा हम मेहनत करते हैं, मजदूरी करते हैं तथा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करके संतोष महसूस करते हैं । दूसरी चीज है, ज्ञान । ज्ञान का विकास मनुष्य के श्रम द्वारा होता है तथा उसके बाद मनुष्य की उन्नति होती है । सांसारिक जीवन में श्रम और ज्ञान दोनों की आवश्यकता है । श्रम हमारे पास हो और ज्ञान न हो तो हमारी भौतिक प्रगति, भौतिक संपदा नगण्य होती है, परंतु जब ज्ञान मनुष्य के पास होता है, तो वह इंजीनियर होता है, डॉक्टर होता है, कलाकार होता है । ज्ञान के द्वारा ही हमारा विकास होता है तथा हमारे विचार में परिवर्तन होता है । अत: हमको सांसारिक प्रगति के लिए श्रम को विकसित करना चाहिए । आप किसान की तरह से, श्रमिक की तरह से श्रम करके दौलत कमा सकते हैं । जापान में सब लोग श्रम का महत्त्व समझते हैं, श्रम की ही पूजा करते हैं ।
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दिनभर चले कार्यक्रम से हजारों राहगीरों को दिया संदेश
उज्जैन। मध्य प्रदेश
से होने वाले व्यक्तिगत, सामाजिक अदनी-सी तम्बाकू की गुलामी लाभों की जानकारी दी और उन्हें एक संकल्प से छूट सकती है।’ नशे से मुक्त होने के लिए प्रेरित इस संदेश के साथ...
देसंविवि के नवीन शैक्षणिक सत्र का श्रीगणेश
ज्ञानदीक्षा ज्ञान के उदय का पर्व ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
हरिद्वार 22 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज का 44वाँ ज्ञानदीक्षा समारोह उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ मु...
Yug Parivartan Ka Aadhar युग परिवर्तन का आधार भावनात्मक नव निर्माण (अंतिम भाग)
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‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग १)
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‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग २)
यदि वर्तमान परिस्थिति अनुपयुक्त लगती हो और उसे सुधारने बदलने का सचमुच ही मन हो तो सड़ी नाली की तली तक साफ करनी चाहिए। सड़ी कीचड़ भरी रहने पर दुर्गन्ध और विषकीटकों से निपटने के छुट पुट उपायों से कोई स्...
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ३)
युग परिवर्तन या व्यक्ति परिवर्तन के लिए व्यक्तिगत दृष्टिकोण और समाजगत प्रवाह प्रचलन को बदलने की बात कही जाती है। उसे समन्वित रूप से एक शब्द में कहा जाय तो प्रवृत्तियों का परिवर्तन भी कह सकते हैं। ल...
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ४)
भटकाव से भ्रमित और कुत्साओं से ग्रसित व्यक्ति ऐससी ललक लिप्साओं में संलग्न रहता है जिन्हें दूरदर्शिता की कसौटी पर कसने से व्यर्थ निरर्थक एवं अनर्थ की ही संज्ञा दी जा सकती है। पेट प्रजनन इतना कठिन न...
हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ५)
स्पष्ट है कि आजीविका का एक महत्वपूर्ण जनुपात अंशदान के रूप सृजन कृत्यों के लिए नियोजित करने की आवश्यकता पड़ेगी। इतना ही नहीं श्रम, समय भी इसके साथ ही देना पड़ेगा। अस्तु न केवल आजीविका का एक अंश वरन स...
हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (अंतिम भाग)
इस तथ्य से सभी अवगत है कि खर्चीली शादियाँ हमें दरिद्र और बेईमान बनाती हैं। धूमधाम, देन दहेज की शादियों का वर्तमान प्रचलन देखने में हर्षोत्सव की साज सज्जा जैसा भले ही प्रतीत होता हो किन्तु वस्तुतः उ...
युग निर्माण योजना
युग निर्माण योजना की सबसे बड़ी संपत्ति उस परिवार के परिजनों की निष्ठा है, जिसे कूटनीति एवं व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के आधार पर नहीं, धर्म और अध्यात्म की निष्ठा के आधार पर बोया, उगाया और बढ़ाया गया...