गुजरात व एनसीआर में 9 अप्रैल से प्रारंभ होगी ज्योति कलश रथ यात्रा
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/1833/1.jpg)
संकल्प के साथ आगे बढ़ने का समय ःआदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या
हरिद्वार, 22 मार्च। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यह समय नये संकल्प के साथ आगे बढ़ने का समय है। देश के प्रत्येक व्यक्ति, परिवार और समाज में जन जागरण का अवसर है। नये युग के आगमन का समय है। ऐसे दिव्य अवसर में हम सभी को संगठित होकर सकारात्मक सोच एवं संकल्प के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या गुजरात व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा निकलने वाली ज्योति कलश रथ यात्रा कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयोजित उद्घाटन सत्र में डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि ज्योति कलश रथ यात्रा के माध्यम से परिचय सत्र-नींव के पत्थरों का अनुभव लेना, प्रेम भावना विकसित करना, भावी योजनाओं के लिए प्रस्ताव तथा योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए सतत प्रयास करते रहना है। इससे एक ओर जहाँ सकारात्मक सोच, व्यक्तित्व संपन्न व्यक्ति एकजूट होंगे, वहीं दूसरी ओर समाज में नकारात्मकता कम होगी। जिस तरह से दीपक जलाने से अंधेरा अपने आप दूर हो जाता है। युगऋषि पूज्य पं0 श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों को उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन दिनों पांच वीरभद्र अपने अलग अलग स्वरूपों में कार्य कर रहे हैं। वायुमण्डल के परिशोधन, वातावरण के परिष्कार, नये युग के आगमन, देवमानवों को जोड़ने तथा प्रतिभा सम्पन्न लोगों में अच्छे विचारों का पोषण जैसे कार्य में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि यह समय विकट है, सभी ओर श्रद्धावानों, कर्मशीलों को पुकार रहा है कि भारतीय संस्कृति- सनातन संस्कृति के लिए कार्य करें, जिससे युवा पीढ़ी को दुर्व्यसन आदि से बचाया जा सके। इस अवसर पर उन्होंने ज्योति कलश रथयात्रा के उद्देश्यों, परिकल्पनाओं एवं योजनाओं पर विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही डॉ ओपी शर्मा, प्रो. प्रमोद भटनागर, श्री श्याम बिहारी दुबे, प्रो. विश्वप्रकाश त्रिपाठी, श्री योगेन्द्र गिरि, श्री उदय किशोर मिश्र, डॉ विरल पटेल, श्री बालरूप शर्मा आदि ने भी अपने विचार प्रकट किये। इस अवसर गुजरात व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से आये सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
Recent Post
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3691/IMG-20210620-WA0067-1024x827.jpg-VwsM20ydAZb2k)
स्वर्ण जयंती वर्ष में शांतिकुंज पर जारी डाक टिकट शांतिकुंज में उपलब्ध।
पांच रुपए प्रति एक टिकट के दर पर मुख्य कार्यालय शांतिकुंज के टेलीफोन नंबर 9258369701 एवं 01334261328 पर कॉल करके आप इसे अपने पते पर बुला सकते है।
दिनांक 20 जून 2021 को गंगा दशहरा गायत्री ...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3687/Sutra No 2 (1).jpg-8DHNkYvBH9Zj93)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (भाग १)
संसार में अवाँछनीयता कम और उत्कृष्टता अधिक है। तभी तो यह संसार अब तक जीवित है। यदि पाप अधिक और पुण्य स्वल्प रहा होता तो अब तक यह दुनिया श्मशान बन गई होती। यहाँ सत्य, शिव और सुन्दर इन तीनों में से ए...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3686/102 (2).jpg-exgUoXUX-FYj93)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (भाग २)
दिन-दहाड़े सरे-बाजार गुण्डागर्दी होती रहती है और यह भले बनने वाले लोग चुपचाप उस तमाशे को देखते रहते हैं। गुण्डों की हिम्मत बढ़ती है और वे आये दिन दूने उत्साह से वैसी ही हरकतें करते हैं। यदि देखने व...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3685/408.jpg-Hi2J2U5ev_62k)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (भाग ३)
भगवान बुद्ध ने तत्कालीन अनाचारों के- मूढ़ मान्यताओं के विरुद्ध प्रचण्ड क्रान्ति खड़ी की थी, इसी संघर्ष से जूझने के लिए उन्होंने जीवधारी भिक्षुओं और श्रवणों की सेना खड़ी की थी। स्वार्थ के लिए तो सभी...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3684/351 (1).jpg-oV18dXGHByYj93)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (भाग ४)
यज्ञ सन्दर्भ में एक श्रुति वचन प्रयोग होता है- ‘‘मन्यु रसि मन्यु मे दहि’’ हे भगवान् आप ‘मन्यु’ हैं हमें ‘मन्यु’ प्रदान करें। मन्यु का अर्थ है वह क्रो...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3683/265.jpg-QW3sF0FQKz62k)
विरोध न करना पाप का परोक्ष समर्थन (अंतिम भाग)
“चोर-चोर मौसेरे भाई” की उक्ति हर क्षेत्र में लागू होते देखते हैं। एक का पर्दाफाश होते ही-दूसरे अन्य मठकटे उसकी सहायता के लिए आ धमकते हैं। सोचते हैं संयुक्त मोर्चा बनाकर ही जन आक्रोश से ...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3682/hamari Part 15A (4).jpg-z-SKQlt0eqYj93)
चाहिए साहसी, जिम्मेदार:-
युग निर्माण योजना, शतसूत्री कार्यक्रमों में बँटी हुई है। वे यथास्थान, यथास्थिति, यथासंभव कार्यान्वित भी किए जा रहे हैं, पर एक कार्यक्रम अनिवार्य है और वह यह कि इस विचारधारा को जन-मानस में अधिकाधिक ...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3681/GM 222 (1).jpg-x_baVhHVLmYj93)
उपहासास्पद ओछे दृष्टिकोण-
यों ऐसे भी लोग हमारे संपर्क में आते हैं जो ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त करने के लिए कुण्डलिनी जागरण, चक्र जागरण और न जाने क्या-क्या आध्यात्मिक लाभ चुटकी मारते प्राप्त करने के लिए अपनी अधीरता व्यक्त करते है...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3680/120_11H.jpg-83BAFXsv_y62k)
जिनमें साहस हो आगे आवें
हमारा निज का कुछ भी कार्य या प्रयोजन नहीं है। मानवता का पुनरुत्थान होने जा रहा है। ईश्वर उसे पूरा करने वाले हैं। दिव्य आत्माएँ उसी दिशा में कार्य कर भी रही हैं। उज्ज्वल भविष्य की आत्मा उदय हो रही ह...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3679/meditation-3338691_960_720.jpg-THFXmdM_YgYj93)
उत्थान और आनन्द का मार्ग
इन थोड़ी सी पंक्तियों में यह विस्तारपूर्वक नहीं बताया जा सकता कि मन की मलीनता को हटा देने पर हम पतन और संताप से कितने बचे रह सकते हैं, और मन को स्वच्छ रखकर उत्थान और आनन्द का कितना अधिक लाभ प्राप्त...