मैं व्यक्ति नहीं विचार हूँ
यह एक सुनिश्चित तथ्य है कि पारमार्थिक कार्यों में निरन्तर प्रेरणा देने वाली आत्मिक स्थिति जिनकी बन गई होगी, वे ही युग-निर्माण जैसे महान कार्य के लिए देर तक धैर्यपूर्वक कुछ कर सकने वाले होंगे। ऐसे ही लोगों के द्वारा ठोस कार्यों की आशा की जा सकती है । गायत्री आन्दोलन में केवल भाषण सुनकर या यज्ञ- प्रदर्शन देखकर जो लोग शामिल हुए थे, वे देर तक अपनी माला साधे न रह सके, पर जिन लोगों ने गायत्री साहित्य पढक़र, विचार मंथन के बाद इस मार्ग पर कदम बढ़ाया था, वे पूर्ण निष्ठा और श्रद्धा के साथ लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ते चले जा रहे हैं। युग-निर्माण कार्य के लिए हम उत्तेजनात्मक वातावरण में अपरिपक्व लोगों को साथ लेकर बालू के महल जैसा कच्चा आधार खड़ा नहीं करना चाहते।
इसलिए इस संघ में उन्हीं लोगों पर आशा भरी नजर डाली जाएगी जो बात को गहराई तक समझ चुके हैं, उसकी जड़ तक जा चुके हैं। वरना ऑंधे-सीधे लोगों का भानमती का कुनबा इकट्ठा करके कोई संगठन बना लिया जाए, तो वह ठहरता कहॉं है? गायत्री परिवार की कितनी ही शाखाएँ इसी प्रकार ठप्प हुईं। अब उस गलती को दुबारा नहीं दुहराना चाहिए। जिन लोगों की दृष्टि में विचारों का कोई मूल्य या महत्त्व नहीं, वे किसी कार्य में देर तक कब ठहरने वाले हैं? जो लोग अखण्ड-ज्योति नहीं मँगा सके, जो गायत्री साहित्य नहीं पढ़ सके, वे किसी समय बड़े भारी श्रद्धावान दीखने वाले साधक भी आज सब कुछ छोड़े बैठे दीखते हैं। प्रेरणा का सूत्र टूट गया, अपना निज का कोई गहरा स्तर था नहीं, फिर उनके पैर भौतिक बाधाओं के झकझोरे में कब तक टिके रहते?
इसीलिए हम यह बारीकि से देखते रहते हैं कि सामने बैठा हुआ, लम्बी-चौड़ी बातें बनाने वाला व्यक्ति हमारी विचारधारा के साथ अखण्ड-ज्योति या साहित्य के माध्यम से बँधा है या नहीं? यदि वह इस की उपेक्षा करता है तो हम समझ लेते हैं कि यह देर तक टिकने वाला नहीं है। जो हमारे विचारों को प्यार नहीं करते, उनका मूल्य नहीं समझते वे शिष्ठाचार में मीठे शब्द भले ही कहें, गुरुजी-गुरुजी, वस्तुत: वे हमसे हजारों मील दूर हैं, उनसे किसी बड़े काम की कोई आशा नहीं रखी जा सकती।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
युग निर्माण योजना - दर्शन, स्वरूप व कार्यक्रम-वांग्मय 66 पृष्ठ 2.50
Recent Post
24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ को लेकर जोर शोर से चल रही हैं तैयारियां
कौशाम्बी जनपद के करारी नगर में अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। कार्यक्रम 26 नवंबर से शुरू होकर 29 नवंबर तक चलेगा। कार्यक्रम की तैयारिया...
कौशाम्बी जनपद में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ 26 नवंबर से 29 नवंबर तक
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार की जनपद इकाई के द्वारा करारी नगर में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन 26 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है। यह कार्यक्रम 26 से प्रारंभ होकर 29...
चिन्तन कम ही कीजिए।
*क्या आप अत्याधिक चिन्तनशील प्रकृति के हैं? सारे दिन अपनी बाबत कुछ न कुछ गंभीरता से सोचा ही करते हैं? कल हमारे व्यापार में हानि होगी या लाभ, बाजार के भाव ऊँचे जायेंगे, या नीचे गिरेंगे।* अमुक ...
भारत, भारतीयता और करवाचौथ पर्व
करवा चौथ भारतीय संस्कृति में एक विशेष और पवित्र पर्व है, जिसे विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए मनाती हैं। इस व्रत का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक...
प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्नता का राजमार्ग (भाग 4)
बुराई की शक्ति अपनी सम्पूर्ण प्रबलता के साथ टक्कर लेती है। इसमें सन्देह नहीं है। ऐसे भी व्यक्ति संसार में हैं जिनसे ‘‘कुशल क्षेम तो है’’ पूछने पर ‘‘आपको क्...
घृणा का स्थान
निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह निंदा का ही भय है, जो दुराचारियों पर अंकुश का काम करता है। यह क्रोध ही है,...
अनेकता में एकता-देव - संस्कृति की विशेषता
यहाँ एक बात याद रखनी चाहिए कि संस्कृति का माता की तरह अत्यंत विशाल हृदय है। धर्म सम्प्रदाय उसके छोटे-छोटे बाल-बच्चों की तरह हैं, जो आकृति-प्रकृति में एक-दूसरे से अनमेल होते हुए भी माता की गोद में स...
प्रगति के पाँच आधार
अरस्तू ने एक शिष्य द्वारा उन्नति का मार्ग पूछे जाने पर उसे पाँच बातें बताई।
(1) अपना दायरा बढ़ाओ, संकीर्ण स्वार्थ परता से आगे बढ़कर सामाजिक बनो।
(...
कुसंगत में मत बैठो!
पानी जैसी जमीन पर बहता है, उसका गुण वैसा ही बदल जाता है। मनुष्य का स्वभाव भी अच्छे बुरे लोगों के अनुसार बदल जाता है। इसलिए चतुर मनुष्य बुरे लोगों का साथ करने से डरते हैं, लेकिन अच्छे व्यक्ति बुरे आ...
अहिंसा और हिंसा
अहिंसा को शास्त्रों में परम धर्म कहा गया है, क्योंकि यह मनुष्यता का प्रथम चिन्ह है। दूसरों को कष्ट, पीड़ा या दुःख देना निःसंदेह बुरी बात है, इस बुराई के करने पर हमें भयंकर पातक लगता है। और उस पातक ...