Magazine - Year 1942 - Version 2
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Language: HINDI
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मेरे लिये इतना ही पर्याप्त है!
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दूर की न सोचने वाला लालची नष्ट हो जाता है और जो कहता है कि मुझे नहीं चाहिए, उसे बहुत मिलता है। जिसे न्याय और अन्याय का ज्ञान है, जो लेने योग्य और न लेने योग्य का भेद समझता है, ऐसे श्रेष्ठ पुरुष का घर ढूँढ़ती-ढूँढ़ती लक्ष्मी स्वयं उसके पास पहुँच जाती है। पारा कितना लुभावना है, फिर भी कोई उसे पचा नहीं सकता है। अधर्म की कमाई भली मालूम पड़ती है पर उसका पचना लोहे के चनों जितना कठिन है। पाप को कोई नहीं पचा सकता, इसलिए अधर्म का धन खाने की इच्छा मत करो। लोभ का पारा ऐसा है कि इसमें अच्छे-अच्छे समझदार मनुष्य फँस जाते हैं और उस जाल में जैसे-जैसे फड़फड़ाते हैं वैसे ही वैसे और अधिक फँसते जाते हैं। लालच मनुष्य से कौन सा बुरा काम नहीं करा सकता? किन्तु उदार विचार वाला मनुष्य दूसरों को अपना समझता है और उनके धन को विराना नहीं मानता। आत्मीयता की भावनाएं उसके मन में प्रवेश पा लेती हैं, वह थोड़े में गुजारा कर लेता है और कहता है- बस, मेरे लिए इतना ही पर्याप्त है, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।
आध्यात्मिक परीक्षाएँ
अखण्ड ज्योति कार्यालय ने अब तक ???? पुस्तकें प्रकाशित की हैं, वह एक प्रकार ???? कोर्स है। इस कोर्स का जिन्होंने अध्ययन कर लिया है वे अपने विषयों की परीक्षाएँ देकर उपाधि सहित प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं। यह शिक्षा इस प्रकार से विभाजित है।
सूर्य चिकित्सा
उपाधि- (1) सूर्य चिकित्सा विशारद।
(2) D. C. S. (डॉ. आफ ओमोपैथिक ????
प्राण चिकित्सा
उपाधि- (1) प्राण विद्या विशारद।
(2) P. M. D. (डॉ. आफ पर्सनल मैगनेटिज्म)
परोक्ष ज्ञान
उपाधि- (1) दैष्श। (2) D. D. (डॉक्टर आफ डिविन्टी)
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उत्तर के लिए टिकट भेजते हुए पत्र व्यवहार करना चाहिये।
व्यवस्थापक- ‘अखण्ड ज्योति’ कार्यालय, मथुरा।
अखण्ड ज्योति के नियम
(1) अखण्ड ज्योति का वार्षिक चन्दा 1/- मनी आर्डर से भेजना चाहिए। बी.पी. मंगाने से 1/- अधिक देने पड़ते हैं। मूल्य में कमी करने के लिए पत्र व्यवहार करना व्यर्थ है। एक वर्ष से कम के लिए ग्राहक नहीं बनाये जाते।
(2) पाठकों को जनवरी से ग्राहक बनना चाहिये, ???? के किसी मास में चन्दा भेजने वालों को जनवरी ???? उस मास तक के पिछले अंक भेज दिये जावेंगे।
(3) अखण्ड ज्योति हर महीने की ठीक 20 तारीख को निकल जाती है। न मिले तो डाक के उत्तर सहित 15 दिन के अंदर ही लिखना चाहिये।
(4) सन् 40 के छः अंक तथा सन् 41 के कुल अंक मौजूद हैं। जो मंगाना चाहे ???? प्रति अंक के हिसाब से मंगा सकते हैं।
(5) हर पत्र के साथ अपना पूरा पता और ग्राहक नम्बर अवश्य लिखना चाहिए। इसके बिना उत्तर भेजने में विलम्ब हो सकता है। उत्तर के लिए जवाबी कार्ड या टिकट भेजना चाहिए।
मैनेजर- अखण्ड ज्योति, मथुरा।
एडवोकेट हाईकोर्ट, इलाहाबाद
क्या कहते हैं?
मैंने अपने जीवन में पहली बार ही आधुनिक पद्धति से औषधियां तैयार करने वाले सुख संचारक कम्पनी लिमिटेड मथुरा के कारखाने को देखा। जितनी स्वच्छता और तत्परता से यहाँ पर औषधियां तैयार करके संग्रह की जाती हैं, उसे देख कर में आश्चर्य में पड़ गया। औषधियां सुयोग्य वैद्य की अध्यक्षता में तैयार होती हैं। कम्पनी ने अकथनीय सफलता प्राप्त क हैं। यदि आयुर्वेदिक औषधियां तैयार करने की ऐसी अन्य कंपनियां हमारे यहाँ होती तो हमारे लिए एक सौभाग्य का विषय होता। मैं कम्पनी की भविष्य में अधिक सफलता और पं. श्रेत्रपाल जी शर्मा के दीर्घ जीवन की कामना करता हूँ।
एन. उपाध्याय एडवोकेट।
ता. 23/12/41